शास्त्रीय मान्यता को माने तो चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी, वैशाख, जेष्ठ और आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी पूजन करने के बारे में कहा जाता है. जी दरअसल चारों महीने के चार दिन का व्रत करने से शीतला जनित बीमारियों से आजादी मिल जाती है। वहीं इस पूजन में शीतल जल और बासी भोजन का भोग लगाने का विधान बताया गया है. आप सभी को बता दें कि शीतला दिगंबर है, गर्दभ पर आरूढ है, शूप, मार्जनी और नीम पत्तों से अलंकृत है। केवल इतना ही नहीं शीतला सप्तमी-अष्टमी पर शीतला माता का पाठ करके निरोग रहने के लिए निम्न मंत्र से प्रार्थना की जाती है।
मंत्र - 'वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्,
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्।'
कहते हैं इस दिन संताष्टमी का भी व्रत करने का विधान है। इस व्रत को करने के लिए प्रातः काल स्नान आदि के बाद भगवान श्रीकृष्ण और माता देवकी का विधिवत पूजन करके मध्य-काल में सात्विक पदार्थों का भोग लगाना चाहिए। कहा जाता है अगर ऐसा किया जाए तो पुण्य तो मिलता ही है और आपके समस्त दुखों का निवारण हो जाता है।
शीतला सप्तमी रविवार- 15 मार्च 2020
शीतला अष्टमी 2020 सोमवार 16 मार्च 2020
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त - सुबह 6:46 बजे से शाम 06:48 बजे तक
शीतला अष्टमी 2020 16 मार्च 03:19 बजे से
शीतला अष्टमी 2020 17 मार्च 02:59 बजे तक
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