आप सभी जानते ही हैं कि शनि जयंती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है और इसे शनि अमावस्या भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन ही शनि देव का जन्म हुआ था. शनि देव, भगवान सूर्य तथा छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं. सूर्य के अन्य पुत्रों की अपेक्षा शनि शुरू से ही विपरीत स्वभाव के थे. ये क्रूर ग्रह माने जाते हैं. इनकी दृष्टि में जो क्रूरता है, वह इनकी पत्नी के शाप के कारण है. ऐसे में आज शनि जयंती है और आज के दिन शनि की पूजा में उनकी आरती जरूर करनी चाहिए क्योंकि यह बहुत सुख देने वाली और हर मनोकामना पूर्ति करने वाली मानी जाती है. आइए जानते हैं आरती.
शनि देव की आरती -
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी.
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी.
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी.
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी.
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी.
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी..
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