नई दिल्ली : उद्योग संघ एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (assocham) ने रविवार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि बढ़े हुए वेतन का भुगतान सिर्फ कर राजस्व और विनिवेश से करना एक गलत आर्थिक नीति होगी। एसोचैम ने अपने एक बयान में कहा की 2015-16 के बजट के अनुसार कुल कर राजस्व में केंद्र का हिस्सा 9.20 लाख करोड़ रुपए होगा। अगर वेतन आयोग की सिफारिशें वैसी की वैसी लागू होती हैं, तो 47 लाख कर्मचारी और 52 लाख पेंशनभोगियों का वेतन खर्च 1.02 लाख करोड़ रुपए वार्षिक से बढ़ते हुए 5.27 लाख करोड़ हो जाएगा।
उद्योग संघ ने कहा कि वेतन भुगतान के लिए हम सिर्फ विनिवेश पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। साथ ही साथ उन्होंने कहा की निश्चित रूप से यह एक अच्छी आर्थिक नीति नहीं है। एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा कि कोई भी वित्तीय संरचना यदि आय से आधे से भी काफी अधिक वेतन और भत्ते पर खर्च कर देती है, तो वह योजना टिकाऊ नहीं हो सकती है।
एसोचैम ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति को देखकर यह यकीन नही हो सकता कि आगामी 4 महीनों में इसमें इतना बड़ा सकारात्मक बदलाव आएगा कि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करना आसान हो जाएगा। आयोग की सिफारिशें लागू करने की निश्चित तारीख 1 जनवरी 2016 है।