क्यों न स्वयं को भी सुप्रभात, गुड मॉर्निंग कहें
क्यों न स्वयं को भी सुप्रभात, गुड मॉर्निंग कहें
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आमतौर पर हम सभी हर सुबह एक-दूसरे को गुड मॉर्निंग या सुप्रभात कहते हैं, या अन्य कोई शब्दों में दिन-भर के लिये शुभकामनाएँ देते हैं | किन्तु, क्या हम स्वयं को भी ऐसी ही शुभकामना देते हैं ? नहीं ना ! जरा सोचें कि,क्यों नहीं हमें स्वयं को भी हर सुबह शुभकामना देना चाहिये ? शुभकामनायें देने की शुरुआत हम स्वयं से क्यों न करें ?

बात छोटी-सी लग सकती है और यह भी लग सकता है कि इससे क्या होगा ? किन्तु, विचार करें तो सुबह की शुभकामना के कई मायने हैं और कई प्रभाव भी | यदि आप शुभकामना देने को मात्र रस्म-अदायगी नहीं मानते हैं और उसे आशा, प्रेम, ख़ुशी और सौहार्द्र बांटने का माध्यम भी मानते हैं, तो फिर सोचिये कि इन सभी अच्छी चीजों को आप स्वयं को भी क्यों न दें ?

रात अंधकार, थकान और आलस्य की प्रतीक है और सुबह प्रकाश, ताजगी, ऊर्जा और कर्मशीलता की प्रतीक है | इसलिए जब हम स्वयं को सुप्रभात कहेंगे, तो सुबह के इन सकारात्मक गुणों को याद करेंगे और अपने तन-मन में उन्हें महसूस करेंगे | जब हमारे मन में ताजगी, ऊर्जा और ख़ुशी होगी तो हम दूसरों को भी जब शुभकामना देंगे तो इन्हीं सुन्दर भावनाओं के साथ देंगे और आपके शब्दों में सच्ची भावनाओं की शक्ति होगी | आखिर जो आपके स्वयं के पास होता है वही तो आप दूसरों को भी बांट सकते हैं |

स्वयं को शुभकामना, दिनभर के लिये खुद में आशा, उत्साह और नए इरादे या संकल्प जगाने का एक तरीका है | हां ! आप स्वयं को शुभकामना देने के साथ ही मन-ही-मन अपने आज के दिन के कार्य या इरादे /संकल्प भी याद कर लें, तो सोने पर सुहागा हो जायेगा |

......और यदि उसके साथ ही प्रसन्नता से भरा हुआ एक ठहाका भी लगा लें तो, बड़ी जानदार बात हो जायेगी | हास्य-योग के सुप्रभाव का आधार यही अनुभव तो है कि जब आप यत्नपूर्वक ही सही, खुलकर हँसते हैं, तो आप रिलैक्स तो होते ही हैं; साथ ही आप पर ख़ुशी और उत्साह जैसी सकारात्मक भावनाओं का एक जोरदार शावर हो जाता है | 

और सोचिये ही नहीं मानिये भी कि आपकी यह प्रसन्नता व शुभकामना अकारण नहीं है | आखिर आप रातभर विश्राम करके तरोताजा हुए हैं और आपके सामने एक नई सुबह है, एक नया दिन है, नई चुनौतियाँ, नए अवसर और नए इरादे हैं | कल तक यदि कुछ बुरा भी हुआ, तो वह कल अब गुजर चूका है और वह फिर नहीं आयेगा | आपके सामने नया-नवेला सा ‘आज’ है, जिसे आपको शुभ व सार्थक बनाना है और उसीके लिये तो आप स्वयं को और अन्य सभी को शुभकामना दे रहे हैं | अपनी शुभकामनाओं में स्वयं विश्वास रखिये | 

ध्यान रहे कि आपकी भावनाएं, मुड, विचार और इरादे ही आपके कार्य को व उनके द्वारा आपके दिन को और भविष्य के दिनों को तय करते हैं | इसलिये हर सुबह का ख़ुशी से स्वागत कीजिये, सबके अलावा खुद को भी शुभकामना दीजिये, हंसिये, मुस्कराइए और फिर इस तरह सुबह आपने जिस ताजगी, उत्साह, ऊर्जा तथा संकल्प-भाव को आमंत्रित किया है, उसे दिनभर बनाये रखिये !

आप सबको, ये ही सब शुभकामनायें ! सुप्रभात !                                    

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