सावन शिवरात्रि पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
सावन शिवरात्रि पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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आज सावन सोमवार और प्रदोष व्रत है। वहीं अगले दिन यानी कल 26 जुलाई को सावन माह की शिवरात्रि है। आप सभी को बता दें कि हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने की कृष्ण पक्ष की 14वीं तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। कहा जाता है फाल्गुन और श्रावण माह की शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। हालाँकि इस बार श्रावण माह की शिवरात्रि 26 जुलाई को है। कहा जाता है शिवरात्रि का त्योहार भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दिन भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। इसी के साथ माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी की पूजा-आराधना की जाती है। कहा जाता है सावन शिवरात्रि पर कांवड़ यात्रा में शामिल सभी शिव भक्त जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। अब हम आपको बताते हैं शिवरात्रि पर जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।

सावन शिवरात्रि पर शुभ संयोग- 26 जुलाई, मंगलवार को सावन शिवरात्रि पर शुभ संयोग बन रहा है। जी दरअसल इस दिन शिव मंगल गौरी की बहुत ही शुभ और मंगलकारी योग बन रहा है। इसी के चलते सावन शिवरात्रि के अवसर पर न सिर्फ भगवान शिव का जलाभिषेक करना कल्याणकारी होगा बल्कि मंगला गौरी व्रत पर माता पार्वती की पूजा करने पर भगवान शिव और माता पार्वती दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। जी दरअसल ज्योतिषों के अनुसार सावन में वर्षों बाद शिवरात्रि और मंगला गौरी व्रत का संयोग बना है।

सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त- शिवरात्रि पूजन चार प्रहर में करने का विधान होता है। आपको बता दें कि इस बार सावन शिवरात्रि की शुभ तिथि 26 जुलाई की शाम को 06 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 27 जुलाई की रात 09 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। जी हाँ और इस तरह से भगवान शिव का जलाभिषेक 26 और 27 जुलाई दोनों दिन किया जा सकेगा। मासिक शिवरात्रि पर शिव पूजन और जलाभिषेक शाम के 6 बजे लेकर 7 बजकर 30 मिनट पर करना उत्तम रहेगा।

 
सावन शिवरात्रि पूजन विधि- सावन शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर व्रत का संकल्प लें। अब घर में या किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा करें। सबसे पहले शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, घी, दूध, शक्कर, शहद, दही आदि से करें। उसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं। अब भगवान शिव की धूप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें और सावन शिवरात्रि पर सुबह और शाम दोनों समय शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टक और शिव श्लोक का पाठ करें।

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