आखिर क्यों करते हैं भगवान शिव का जलाभिषेक, जानिए इसके पीछे का कारण
आखिर क्यों करते हैं भगवान शिव का जलाभिषेक, जानिए इसके पीछे का कारण
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सावन के महीने में भगवान शिव के जलाभिषेक करने का बहुत पुण्‍यलाभ होता है। सबसे खास कर अगर आप कांवड़ में गंगाजल लेकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं तो इसका अमोघ पुण्‍य केवल आपको ही नहीं, पूरे परिवार को मिलता है। हालाँकि आपको शायद ही पता होगा कि कांवड़ में जल भरते समय किन मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसी के साथ ही कावंड लेकर यात्रा के समय भी इन्‍हीं मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए। जी दरअसल श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक जरूर करना चाहिए और कहा जाता है इस पवित्र मास में भगवान शिव (Bhagwan Shiv Jalabhishek) की मनोकामना के अनुसार विभिन्‍न वस्‍तुओं से अभिषेक करने का विधान है।

शिवालय में जाकर शि‍वलिंग पर अभिषेक करने के पुण्‍यलाभ अधिक होते हैं। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि श्रावण मास (Shravan Maas Shivling Puja) में भगवान शिव की विशेष पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इसी के साथ सावन मास में प्रत्येक सोमवार के दिन भगवान शिव को विधि-विधान से और मंत्रोच्चारण के द्वारा जल अर्पित की जाती है लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि शिवलिंग का अभिषेक क्‍यों किया जाता है? आइए हम आपको बताते हैं।

क्यों किया जाता है भगवान शिव का जलाभिषेक?- कहा जाता है शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव का जल अथवा दूध से अभिषेक करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है। जी हाँ और इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। जी दरअसल धार्मिक कारणोंं से शिवलिंग पर जलाभिषेक के पीछे एक बड़ा कारण ये है कि भगवान शिव ने जब समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पी लिया था तो वह उसकी गर्मी से वह तपने लगे थे। उस समय उनकी गर्मी को शांत करने के लिए देवाओं ने जल, दूध, विभिन्‍न फलों और सब्जियों का रस चढ़ाया था। इससे शिवजी की जलन शांत हुई थी। उसी के बाद से शिवलिंग पर जल, दूध आद‍ि चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई थी। इस वजह से लोग सावन मास में अपनी कामनाओं के अनुसार भी शिवजी को विभिन्‍न चीजों से अभिषेक करते हैं। कहा जाता है श्रावण मास में भगवान शिव के जलाभिषेक का कई गुणा फल भक्‍तों को मिलता है।


ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । 
उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात् ।।

कांंवड़ में जल भरने और यात्रा के दौरान जपते रहें ये मंत्र-

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
जय शिव जय शिव ओंकारा
हर-हर महादेव
जय-जय शंकर हर-हर शंकर

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