इस सीज़न सहेजें जल
इस सीज़न सहेजें जल
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जून माह के मध्य में पहुंचते ही लोगों को मानसून की आस लग जाती है. किसान, शहरी, ग्रामीण हर कोई बारिश के पानी की आस में रहकर खुश हो उठता है. लोगों का मन खुशी से झूम उठता है. इस बार भी लोगों को अच्छी बारिश की उम्मीद है लोग इस बात की आस लगा रहे हैं कि इस बार पानी अच्छा बरसे. मगर क्या पानी जितना बरसता है उतना उसे सहेजकर रखा जा सकता है. जी नहीं, अधिकांशतः जल तो धरती की सतह के ऊपर से ही बहकर निकल जाता है. ऐसे में भू-जल का संवर्धन नहीें हो पाता है. धरती के सतह का जल भी बहुत कम हो जाता है।

बारिश का पानी बहकर निकल जाने के बाद करीब 3 माह तो पानी की परेशानी नहीं होती लेकिन इसके बाद गर्मी के मौसम का प्रारंभ होते ही लोगों को पानी की आपूर्ति सही तरह से नही हो पाती है, हालांकि इसके लिए प्लांटेशन को बढ़ाने, रूवाॅटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहित करने के कदम उठाए गए हैं लेकिन अभी और भी प्रयास किए जाने की जरूरत है।

यदि धरती के अंदर जल को सहेजा जाएगा तो तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद मिल सकती है. इतना ही नहीं पर्यावरण में संतुलन स्थापित किया जा सकता है. इसके अलावा लोग प्रकृति के इस अमृत उपहार का लाभ ले सकते हैं. यदि बारिश के पहले ही जलसंग्रहण पर ध्यान दिया जाए तो लोगों को दूर-दूर से पानी भरने की जरूरत नहीं होगी।

लव गडकरी

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