बिजली बचाओ पर दूसरों की मत बुझाओ
बिजली बचाओ पर दूसरों की मत बुझाओ
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अक्सर हम सभी के घर मे कोई सदस्य ऐसा होता है जो बिजली बचाने के लिए लाइट, पंखे बंद करता रहता है. निसंदेह फिजूल खर्च, बढ़ती हुई महंगाई के दिनों मे कोई भी नहीं चाहेगा. पर ज़रूरत यह है की बिजली बचाओ पर दूसरों की मत बुझाओ.कोयला और बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने इसी रूप रेखा पर काम करते हुए सभी घरो को रोशन कर दिया.

ESSL की LED बल्ब वितरण योजना निसंदेह बहुत ही महत्वाकांशी कदम है. बिजली और कोयला मंत्री के लिए यह कदम उठाना एक चुनोती ही था. सफल न होने पर इसके परिणाम दूरगामी होते. यह बहुत ही मुश्किल होता है की अर्थशास्त्र के सारे नियम लगा कर गरीबो के घरो को रोशन किया जाए. 

इस स्कीम की विश्व स्तरीय सराहना हुई है. पियूष गोयल ने बाजार के समीकरण को तोड़ते हुए 350 रुपए की खुदरा कीमत वाले LED बल्ब को मात्र 44 रुपए में उपलबध कर दिया. वो भी 10 रुपए की क़िस्त पर. ओवर प्रोडक्शन और आपूर्ति श्रृंखला में ज़बरदस्त बदलाव के साथ यह सब मुमकिन हो पाया है. इससे ज्यादा तो कुछ हो ही नहीं सकता.

आकड़ो तक देखे तो स्ट्रीट लाइट स्कीम में 4.86 लाख बल्ब को बदला जा चूका है. जिससे 16.04 MW की बचत की जा चकी है. वही 3 करोड 60 लाख LED बल्ब का वितरण करते हुए 5 करोड़ रुपए की बचत हर दिन हो रही है. यह तो सिर्फ शुरुवात है.

इस स्कीम की कई खास बाते है. गरीबो के घर रोशन हो रहे है, देश का कार्बन उत्सर्जन काम हो रहा है जिससे पैसे भी बच रहे है, साथ ही मौजूदा बाजार का ढाचा भी बना हुआ है. इन सभी के आलावा बल्ब को बिजली वितरण कंपनी के द्वारा देने से पैसे की वसूली का भी झंजट नहीं है. वितरण का रिकॉर्ड कंपनी में होने से काला बाज़ारी की सम्भावना भी खत्म होगी है. सभी बल्ब पर कीमत और सरकारी लोगो बल्ब पर छापा हुआ है जिसे बल्ब की काला बाज़ारी होकर खुदरा बाजार में आने की सम्भावना खत्म होगी है.

आलोचको को इस स्कीम में खामिया ढूंढे पर भी नहीं मिल रही है. आलोचक ज्यादा उत्पादन बढ़ाने पर मान रहे है की बल्ब की सभी जगह वितरण पूरा होने पर निर्माण इकाइयां खाली हो जाएंगी. इस कथन में यह बात भूली जा रही है की स्कीम शुरुवाती दिनों में 5 करोड़ प्रति दिन की औसत से पैसे बचा रही है. यह राशि निर्माण इकाई की लगत की तुलना में शुन्य ही है. आर्थिक आलोचकों ने भी स्कीम से जुड़े तथ्यों पर ज़मीनी काम देख कर प्रसंशा ही की है.

डॉ एस.के. वर्मा

डायरेक्टर इंदौर कैंसर फाउंडेशन, राऊ

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