आज है एकदंत संकष्टी चतुर्थी, जानिए क्या है व्रत का महत्व
आज है एकदंत संकष्टी चतुर्थी, जानिए क्या है व्रत का महत्व
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एकादशी की भांति ही प्रत्येक महीने में दो बार गणेश चतुर्थी आती है, एक शुक्ल पक्ष में तथा दूसरी कृष्ण पक्ष में। 27 मई से ज्येष्ठ के माह का आरम्भ हो चूका है। ज्येष्ठ के महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस बार एकदंत संकष्टी चतुर्थी का उपवास आज यानी 29 मई 2021 को शनिवार के दिन रखा जाएगा। जानिए इस व्रत से संबंधित विभिन्न बातें...

चतुर्थी तिथि आरम्भ: 29 मई दिन शनिवार प्रातः 06 बजकर 33 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 30 मई दिन रविवार को प्रातः 04 बजकर 03 मिनट पर
चंद्रोदय का समय: 29 मई को रात 10 बजकर 30 मिनट पर

व्रत का महत्व:-
संकष्टी चतुर्थी व्रत के नाम से ही साफ़ है कि ये व्रत संकटों को हरने वाला है। कहा जाता है कि प्रभु श्री गणेश शुभ फलदायक होते हैं, इसलिए उनका ये उपवास रखने से सभी कष्ट और समस्याएं दूर होती हैं तथा बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं। इससे घर में धन-संपत्ति और खुशियां आती हैं। कुछ लोग संतान प्राप्ति की कामना के साथ इस दिन निर्जला उपवास रखते हैं।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि:-
चतुर्थी के दिन प्रातः जल्दी उठकर लाल रंग के कपड़े पहनें। तत्पश्चात प्रभु श्री गणेश की मूर्ति को ऐसे स्थापित करें कि पूजा के चलते आपका मुंह पूर्व या उत्तर की तरफ हो। इसके बाद प्रभु श्री गणेश की मूर्ति के समक्ष धूप-दीप प्रज्जवलित करें। उन्हें रोली लगाएं, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, पान, सुपारी और भोग में लड्डू अर्पित करें। इसके पश्चात् ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपते नमः मंत्र का जाप करें। शाम को व्रत कथा पढ़कर चंद्रमा को अर्घ्य दें इसके पश्चात् ही अपना व्रत खोलें। अगले दिन नहाने के पश्चात् किसी जरूरतमंद को सामर्थ्य के मुताबिक दान दें।

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