वे लोग जिन्होंने रामायण और महाभारत दोनों में निभाया था अहम किरदार, काफी लम्बा था इनका जीवन
वे लोग जिन्होंने रामायण और महाभारत दोनों में निभाया था अहम किरदार, काफी लम्बा था इनका जीवन
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वैसे तो सभी ये जानते होंगे कि रामायाण और महाभारत दोनों भिन्न-भिन्न युग की कहानियां हैं। एक युग को पूरा होने में कई हजार वर्ष लग जाते हैं। इसमें रामायण की कथा त्रेतायुग की कथा है, जबकि महाभारत का जिक्र द्वापर युग में है। अर्थात रामायण पहले की कहानी है तथा महाभारत उसके पश्चात् की कहानी है। हो सकता है आपने टेलीविज़न पर रामायण और महाभारत दोनों देखी होगी, जिनमें कई प्रकार के किरदार उपस्थित हैं। मगर, कभी आपने ध्यान दिया है कि रामायण तथा महाभारत में कई किरदार ऐसे हैं, जिनका जिक्र दोनों कहानियों में मिलता है। मतलब उन लोगों की केवल रामायण में ही नहीं, बल्कि महाभारत में भी अहम किरदार था। कहा जाता है कि इसकी जिंदगी बहुत लम्बी रही है तथा अवतार होने के कारण इनकी उपस्थिति दोनों युग में है। ऐसे में जानते हैं कि वो लोग कौन थे, जिनका जिक्र दोनों युग में हैं:-

परशुराम:-
आपने रामायण देखी होगी तो आपने देखा होगा सीता स्वंयवर के समय जब प्रभु श्री राम से धनुष टूट जाता है तो परशुराम वहां आते हैं। इसके पश्चात् अपना सुदर्शन भी रामजी को दे देते हैं। तत्पश्चात, महाभारत में भी परशुराम जी का कई स्थान पर जिक्र है। महाभारत में कर्ण को भी शिक्षा परशुराम जी ने ही दी थी। ऐसे में बोला जा सकता है परशुराम जी रामायण एवं महाभारत दोनों में थे।

हनुमान जी:-
ये तो सभी जानते हैं कि रामायण में हनुमान जी का कितना किरदार है। उन्होंने राम तथा रावण के युद्ध में महत्वपूर्ण किरदार निभाया था तथा उन्हें रामभक्त के रूप में जाना जाता है। इसके पश्चात् महाभारत में भी हनुमान जी का जिक्र है। महाभारत में भी पांडव पुत्र भीम तथा हनुमान के बीच बातचीत बताई गई है।

महर्षि दुर्वासा:-
दुर्वासा ऋषि भी उन लोगों में से एक है, जो रामायण तथा महाभारत दोनों के समय नजर आए थे। रामायण में दुर्वासा ऋषि और दशरथ के बीच चर्चा कई बार नजर आई है। इसके अतिरिक्त महाभारत में ऋषि दुर्वासा पांडव के निर्वासन के वक़्त द्रोपदी की परीक्षा लेने के लिए उनकी कुटिया में पहुंचे थे।

जाम्वंत:-
आपने रामायण में जाम्वत का किरदार तो देखा ही होगा, कैसे उन्होंने सीता जी को तलाशने तथा रावण से युद्ध में प्रभु श्री राम की सहायता की थी। मगर कहा जाता है कि जाम्वंत महाभारत के समय में भी थे और उन्हें प्रभु श्री श्रीकृष्ण से युद्ध भी किया था।

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