खादी की किस्मत खुली, 50 हजार करोड़ के बिके उत्पाद
खादी की किस्मत खुली, 50  हजार करोड़ के बिके उत्पाद
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नई दिल्‍ली : एक जमाना था जब खादी व खादी से जुड़े उत्‍पाद लोगों द्वारा नापसंद किए जाते थे. सरकार की बहुत कोशिशों के बाद भी ये लाभ की श्रेणी में नहीं आ पा रहे थे. लेकिन जो खबर अब सामने आई है उसने सबको चौंका दियाहै. आप यकीन नहीं करोगे लेकिन यह सच है कि गत वर्ष खादी व खादी से जुड़े उत्‍पादों की 50 हजार करोड़ से ज्‍यादा की बिक्री हुई. शहद, साबुन, सौंदर्य प्रसाधन, फर्नीचर व जैविक खाद्य पदार्थ जैसे उत्‍पादों की मांग में भारी वृद्धि ने इसे इस मुकाम तक पहुँचाया. ज्ञात ही है कि ग्रामोद्योगों द्वारा तैयार उत्पाद अधिकांशतः महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि लोगों का खादी व खादी उत्‍पादों के प्रति एक बार फिर रुझान बढ़ने लगा है, तभी तो 2016 में 50 हजार करोड़ रुपये की बिक्री सम्भव हो पाई है.खादी विकास एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष के दौरान ग्रामोद्योग के वस्तुओं की बिक्री 24 प्रतिशत बढ़ गई. अब 2018-19 में सरकार का लक्ष्य खादी उद्योग की बिक्री को बढ़ाकर पांच हजार करोड़ रुपए करने का है.

इस बारे में ब्रांड विशेषज्ञ हरीश बिजूर ने बताया कि पहले खादी केवल राजनीतिक वर्ग की पसंद थी,लेकिन अब आम उपभोक्ता भी आजकल प्राकृतिक उत्पादों को ज्यादा तवज्जोे दे रहे हैं. इस कारण ये उद्योग विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है. एक विशेष बात यह भी है कि खादी अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बना रहा है. 21 विदेशी बाजारों में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, खादी भारत के सबसे लोकप्रिय ब्रांड में से एक है.

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