तलाक, तलाक, तलाक....को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची शायरा बानो
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नई दिल्ली​ : एक बेदर्द घरेलू हिंसा का मामला सामने आया है। उतराखंड की रहने वाली शायरा बानो ने तीन बार तलाक कहकर पत्नी से मुक्ति पा लेने वाले उस नियम को चुनौती दी है, जो वर्षो से मुस्लिम समाज में चला आ रहा है। लेकिन शायरा ने बिना हार माने इसकी वैधता को चुनौती दी है।

शायरा की शादी 2002 में इलाहाबाद के रिजवान से हुई थी। शादी के पहले ही दिन से उस पर अत्याचार होने लगे। अप्रैल 2015 में पति रिजवान ने तीनबार तलाक कहकर शायरा से नाता तोड़ लिया। इसके बाद शायरा ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इतना ही नहीं उसके पति ने उसका 6 बार जबरन अबॉर्शन करवाया।

गर्भनिरोधक गोलियां खाने के लिए भी दबाव बनाता था। गोलियों ने उसकी सेहत पूरी तरह से खराब कर दी। शायरा ने बताया कि उनकी शादी को 15 साल हो गए, लेकिन ये तब टूट गई जब उसके घर तलाकनामा पहुंचा। उसे अपने भरण-पोषण का खर्च और अपने दो बच्चों की कस्टडी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने शायरा की याचिका स्वीकार कर ली। बकौल शायरा ने मेरे पति प्रॉपर्टी डीलर हैं और वह लगातार दहेज की मांग करते रहते थे। बदनामी के डर से मैं खामोश रही। अबॉर्शन के बाद मेरी तबीयत खराब हुई मैं अपने घर चली आई ताकि थोड़ा आराम कर सकुं। तब तक मेरे पति ने मुझे तलाकनामा भेज दिया।

शायरा के इस कदम पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए मुस्लिम लॉ बोर्ड ने इसमें विरोधी पक्ष बनने का फैसला किया है। बोर्ड का कहना है कि वो इस प्रथा में किसी भी तरह के बदलाव या छेड़छाड़ को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में जाकर विरोध करेगा। शायरा सोशलॉजी से ग्रेजुएट है और उसे हर कीमत पर न्याय चाहिए।

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