मेरठ : सेना से रिटायर्ड होने वाले बेजुबान फौजियों के लिए सरकार ने अपनी पॉलिसी में कुछ चेंजेज किए है। केंद्र सरकार ने यह तय किया है कि अब इन्हें मौत का धीमा जहर नही दिया जाएगा। बल्कि इनकी प्राकृतिक मौत होने तक इनकी देखभाल की जानी चाहिए। रिमाउंट वेटनरी कोर सेंटर एंड कॉलेज के 237 वें कोर डे समारोह में डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल जगविंदर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने सेना के रिटायर डॉग्स, घोड़ों और खच्चरों की देखभाल करने का फैसला लिया है।
मेरठ आरवीसी में रिटायर्ड डॉग्स की देखभाल की जाएगी। उधर पहले ही घोड़ो और खच्चरों की देखभाल के लिए उन्हें हेमपुर सेंटर भेजा गया है। इन जानवरों को रिटायर होने के बाद थोड़ी-थोड़ी मात्रा में जहर देकर मार दिया जाता था। पर अब ऐसा नही होगा। केवल रिटायरमेंट के बाद इनकी खुराक को 70 प्रतिशत तक कम कर दिया जाएगा। जनरल ने यह भी कहा कि आतंक की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए यूरोप व जर्मनी से अच्छी नस्ल के कुते, घोड़े व ख्चेचरों कइंपोर्ट किया जाएगा।
इनकी ब्रीडिंग भारतीय सेंटरों में की जाएगी। इस संबंध में भेजा गया प्रस्ताव अपने आखिरी चरण में है, पास हुआ तो जर्मनी से घोड़े औऱ खच्चर तथा यूरोप से कुते मंगाए जा सकते है। जनरल ने कहा कि ग्लेशियर में 30 फुट अंदर बर्फ में फंसी बॉडी को कोई मशीन नही खोज पाती है, लेकिन ये जानवर उसे ढूंढ निकालते है। कई देश इनकी ब्रीडिंग कराना चाहती है, जिसके लिए केंद्र सरकार से बात चल रही है।
यदि सहमति बनी तो देश में तैयार किए गए ये जानवर बाहर देशों भी भेजे जाएंगे। दूसरी ओऱ नेवी में भी आऱवीसी अफसरों की मांग बढ़ी है। मेरठ आऱवीसी से 6 को नेवी में भेजे गया है। यह ऑफिसर शिप पर प्रबंधन संभालते हैं। छह माह के दौरान जब शिप समुंदर में होता है, तब मांस को खराब होने से बचाने की जिम्मेदारी भी इनकी होती है। जनरल ने जानवरों में होने वाली बीमारियों के प्रति सावधान रहने की भी हिदायत दी और कहा कि बैक्टीरिया का रूप बदल रहा है। यह विश्व के सामने एक बड़ी चुनौती हैं। इबोला जैसी बीमारी से विश्व परेशान है। हम सभी को पर्यावरण संरक्षण की तरफ ध्यान देना चाहिए।