आओं जलाएं संकल्प के दीप
आओं जलाएं संकल्प के दीप
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आज पूरा देश स्वाधीनता दिवस उत्साह और उमंग के साथ मना रहा है। निश्चित ही आजादी के बाद बीते कुछ वर्षों में भारत विकास के मार्ग पर प्रश्स्त हुआ है और इन सबके पीछे इस देश के जिम्मेदार नागरिकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। लेकिन कहीं न कहीं हमारी कमजोरी भी है, जिसके कारण हम किसी न किसी मामले में आज भी पिछड़े हुये दिखाई दे सकते है। वास्तव में हम अपनी कमजोरी को आंकने का प्रयास नहीं करते है और यही कारण है कि कमजोरियां हम पर हावी होती है तथा इसका विपरित असर देश के विकास ही नहीं अन्य सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर पड़ता है।

खैर आज इस आजादी के दिवस पर हम संकल्प तो ले ही सकते है और संकल्प के दीप प्रज्जवलित कर अपनी कजोरियों का आंकलन करने का प्रयास करें तो निश्चित ही आगे का मार्ग प्रशस्त होगा या फिर जिस मंजिल की हमें आकांक्षा है, उसे पाने में सफलता प्राप्त हो सकती है। देश आजाद है, हमें कहने और सुनने की पूरी स्वतंत्रता है लेकिन लगता है कि इस स्वतंत्रता का बेजा फायदा उठाने से लोग चूकते नहीं है। देश के विकास हेतु सरकार पूरा प्रयास कर रही है और इसके लिये पुरानी नीतियों में भी बदलाव कर दिया गया है, हो सकता है यह बदलाव सरकार विरोधियों को पसंद नहीं आये, लेकिन कहते है न कि जिसके हाथों में नाव की पतवार होती है, वह अपने हिसाब से ही नाव को चलाता है, हाॅं, इस दौरान वह पूरा प्रयास जरूर करता है कि नाव डुबे नहीं।

पिछले कुछ दिनों से हमारे देश में ऐसे कुछ मुद्दे प्रमुखता के साथ समक्ष में आये है, जिसने सामाजिक समरसता को आघात पहुँचाने का कार्य किया है। इस मामले में स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अपनी पीड़ा व्यक्त कर चुके है। देश के अभिन्न हिस्से कश्मीर की आग दिनों दिन बढ़ती चली जा रही है, यहां किसी आतंकी को कभी शहीद का दर्जा दिया जाता है तो कभी हमारा पड़ौसी देश पाकिस्तान कश्मीर की आजादी की बात करने से भी चूकता नहीं है। यह कहने में कतई संकोच नहीं होगा कि तत्कालीन सरकारों की अपेक्षा वर्तमान सरकार ने पाकिस्तान को खुले शब्दों में उसकी औकात दिखाई है और यह सब हिम्मत की बात ही कही जायेगी कि देश की सुरक्षा के लिये हिम्मत तो दिखाई गई, वरना पहले का इतिहास उठाकर देखा जाये तो यह साबित होता है कि कभी भी खुले तौर पर पाकिस्तान को जवाब देने का कभी भी प्रयास नहीं किया गया। लब्बे लुआब यह है कि यहां किसी की तारीफ के पुल नहीं बांधे जा रहे है, अपितु सच कहने कहने की हिम्मत जुटा रहे है।

मुद्दा देश के साथ जुड़ा हुआ है तो समस्या का हल भी हो जायेगा, इसमें कोई दोराय नहीं है परंतु कश्मीर जैसे मुद्दे पर अन्य राजनीतिक दलों को राजनीति की बिछात नहीं बिछाना चाहिये, वरन कंधे से कंधा मिलाकर मामले को हल करने करने का भी संकल्प लिया जा सकता है। रही बात ऐसे मुद्दों की, जिसके कारण विवाद की स्थिति निर्मित होने लगी है तो, इन्हें भी अब दरकिनार करने की जरूरत महसूस होती है, क्योंकि यदि विवादास्पद मुद्दों पर उलझा जाता है तो देश विकास की ओर ध्यान नहीं जाता है। इसलिये आवश्यक है कि हम आज के इस पवित्र अवसर पर संकल्प ले, निर्णय ले। विकास और सिर्फ विकास तथा देश हित ही हमारे लिये सर्वोपरि बने....। इसी कामना के साथ सभी देशवासियों को एक बार पुनः स्वाधीनता दिवस की शुभकामनायें ।

शीतलकुमार ’अक्षय’

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