देश में कोविड-19 के चलते धार्मिक आयोजनों पर भी पाबंदी है. निरंतर पांच माह से कोई भी धार्मिक समागम नहीं हुआ. इससे धार्मिक समागमों, भजन संध्या व जागरण आदि में गाने वाले भजन सिंगर की दिक्कते बढ़ गई हैं. ऐसे ही एक भजन सिंगर कोटकपूरा निवासी राकेश सचदेवा हैं, जिनकी धार्मिक क्षेत्र में बहुत अलग पहचान थी.
कोरोना पर बोले शिवराज, कहा- एक समय तो लगा, हाथ से निकल गए इंदौर-उज्जैन
बता दे कि फरीदकोट में ही नहीं वह पंजाब समेत पड़ोसी प्रदेश हरियाणा, हिमाचल और राजधानी में भी कार्यक्रम दे चुके हैं. ठप हुए धार्मिक समागमों की वजह से इन दिनों वह फैमिली का भरण पोषण करने के लिए सब्जी बेचने को मजबूर हैं. भजन सिंगर राकेश सचदेवा ने कहा कि उनके पिता स्वर्गीय श्याम लाल सचदेवा भी भजन मंडली के प्रधान थे, जिनके साथ रहने के बाद उन्हें भजन गायकी का शौक हुआ.
कोरोना काल में परीक्षा का मामला, UGC के फैसले के खिलाफ SC पहुंचे आदित्य ठाकरे
ग्यारह साल की उम्र से ही उन्होने गायकी प्रारंभ कर दी थी. लोगों ने प्रेम दिया तो उसे अपना हर रोज का काम बना लिया. अब लॉक डाउन के बाद से गवर्नमेंट द्वारा लगाई गई धार्मिक समागमों पर रोक के बाद उनका कार्य बिल्कुल बंद है. इसके अलावा वह पार्ट टाइम कोटकपूरा में एक प्राइवेट विघालयों के पास फास्टफूड का भी कार्य करते थे. किन्तु स्कूल बंद होने की वजह से वह काम भी ठप है. वही, भूखे से मरने की नौबत आ गई. जिसके बाद मजबूर होकर उन्हें सब्जी बेचने का कार्य करना पड़ा. उन्होंने गवर्नमेंट से हिदायतों के तहत धार्मिक समागम आयोजित करने की अनुमति देने की मांग की है.
कोरोना की 'देसी वैक्सीन' को लेकर आई बड़ी खुशखबरी, डॉ हर्षवर्धन बोले- हम जल्द ही जीतेंगे
रक्षाबंधन 2020 : राशि अनुसार बांधे राखी, जानिए कौन-सा रंग रहेगा भाई के लिए शुभ
रेलवे ने रद्द किया 471 करोड़ का ठेका, तो हाई कोर्ट पहुंची चीनी कंपनी