इस व्रत को रखने से रिश्ते और परिवार का होता है सर्वनाश
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कुछ लोगों ऐसे होते है जो निरन्तर बोलते रहते है उन्हें किसी की बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है वह सिर्फ खुद के ही बारे में सोचते है तो वहीं कुछ लोग ऐसे होते है जो अधिक बोलना पसंद नहीं करते यही नहीं बल्कि वह खुद की दुनिया में मग्न रहते है. लेकिन इन लोगों को कई बार इनकी चुप्पी इन्हें अधिक नुकसान दे जाती है जिसका ये अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते है.

जैसा कि हम सभी जानते है कि जहां छल-कपट हो रहा हो, वहां पर मौन रहने से अधिक गंभीर अपराध और कुछ नहीं हो सकता. क्योंकि गीता में भी कहा गया है कि अन्याय सहना अन्याय करने से ज्यादा बड़ा पाप है. अगर कोई मन बुद्धि व्यक्ति लगातार बोल रहा है तो वह चुप रहना उचित है लेकिन अपराध हो रहा है तो यह मौन घातक सिद्ध हो सकता है.

कुछ लोग तो ऐसे भी होते है जो अपने खिलाफ हो रहें जुर्म को लेकर भी आवाज़ नहीं उठाते है, इनका मौन रहना का सबसे बड़ा कारण होता है इनके अंदर का डर जो कि उन्हें बोलने की परमिशन नहीं देता है और ये खुद पर हुए जुर्म को सहते रहते है. कई जगह पर चुप रहना उचित माना गया है लेकिन हर जगह पर चुप रहना बेवकूफी माना गया है.

अगर आप गलत चीजों के खिलाफ आवाज उठाते है तो आपको एक अलग ख़ुशी महसूस होगी, ऐसा करने से हमारा मन कितना मुक्त, कितना हल्का अनुभव करेगा. आपने सुना होगा कि आज समाज में बुराइयां इसलिए नहीं फ़ैल रही है कि बुरे लोग अधिक है बल्कि इसलिए फ़ैल रही है कि अच्छे लोग मौन धारण किए हुए है.

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