काले धन पर सरकार की नज़र, 33% कम हुआ स्विस बैंक में पैसा
काले धन पर सरकार की नज़र, 33% कम हुआ स्विस बैंक में पैसा
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ज्यूरिख : स्विट्ज़रलैंड के स्विस बैंक द्वारा अपने यहां धन जमा करने वालों को लेकर एक जानकारी दी है जिसमें यह बात सामने आ रही है कि भारत सरकार द्वारा कालेधन की जानकारी करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों का ही परिणाम है कि भारतीयों ने इन बैंकों में राशि जमा करने में दिलचस्पी कम करना प्रारंभ कर दी है। स्विट्जरलैंड की बैंकिंग प्रणाली की गोपनीयता के विरूद्ध वैश्विक स्तर पर जो अभियान चलाया जा रहा है उसके बीच स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि लगभग एक तिहाई अर्थात् 33 प्रतिशत कम हो गई है। जिसमें 1.2 अरब फ्रैंक ही रही है।

दरअसल स्विस बैंक के अधिकारियों ने कहा है कि स्विट्जरलैंड पर कालेधन को लेकर वैश्विक स्तर पर दबाव बना है। स्विट्जरलैंड की सेंट्रल बैंकिंग अथाॅरिटी - स्विस नेशनल बैंक द्वारा जो आंकड़े जारी किए गए हैं वे यह बताते हैं कि भारतीयों ने इस बैंक में राशि जमा करना कम कर दिया है। इस तरह की गिरावट 1997 के बाद पहली गिरावट है। स्विट्जरलैंड के बैंकों ने विदेशियों के जमा धन के बारे में आंकड़े 1997 में सार्वजनिक करना प्रारंभ किए थे। उसके बाद से यह भारतीयों के जमा धन का सबसे निचला स्तर है।

दरअसल भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में जमा फंड में 1997 के बाद एक बड़ी गिरावट दर्ज की गई। स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि कम हो गई है। वर्ष 2006 के अािखर तक भारतीयों का स्विस बैंकों में जमा धन रिकाॅर्ड उच्चस्तर 6.5 अरब स्विस फ्रैंक अर्थात् 23 हजार करोड़ रूपए पर पहुंच गया था। इसके बाद से ही भारतीयों के जमा धन में कमी आने लगी लेकिन इसके बाद 2011 और 2013 में 12 प्रतिशत और 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

वर्ष 2015 के अंत में स्विस बैंकों में भारतीयों ने जो धन जमा किया वह धन 120.67 करोड़ फ्रैंक ही रह गया। ऐसे में एक वर्ष पूर्व 177.6 करोड़ फ्रैंक ही था। ट्रस्टियों या फिर संपदा प्रबंधकों के माध्यम से जो धन जमा करवाया गया था वह करीब दो वर्ष पूर्व अर्थात् 2014 के अंत के 3.79 करोड़ फैरंक से कम होकर 1.08 करोड़ फ्रैंक ही रह गया। वर्ष 2014 के अंत तक कुल जमा धन 181.4 करोड़ फै्ररंक ही था। इस तरह का धन न्यासियों के माध्यम से जमा धन का काफी निचला स्तर था। वर्ष 2007 तक यह राशि अरबी फ्रैंक में रहती थी।

ज्यूरिख द्वारा एसएनबी के ताजा आंकड़े उस समय आए हें जब स्विट्जरलैंड ने भारत और दूसरे देशों द्वारा उपलब्ध करवाए गए सबूत के आधार पर विदेशी ग्राहक का ब्योरा साझा करना प्रारंभ कर दिया है। स्विट्जरलैंड ने भारत की कालेधन के विरूद्ध की गई लड़ाई में सहयोग के ही साथ विस्तार देने की सहमति भी प्रदान की है। वर्ष 2018 से सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु भारत के ही साथ नए तरह के अनुबंधों पर स्विस बैंक ने काम किया है। ऐसे में खातों की गोपनीयता में कमी आई है। भारतीयों की जमा रकम कम होने का एक बड़ा कारण है।

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