करे सुंदरकांड के इस ख़ास अंश का पाठ
करे सुंदरकांड के इस ख़ास अंश का पाठ
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वैसे तो बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए हनुमानचालीसा, हनुमानाष्टक आदि का पाठ किया जाता है. लोग पूरे सुंदरकांड का भी पाठ करते हैं. पर रामचरितमानस के किष्किंधाकांड के एक खास अंश का पाठ करने से भी वे भक्तों पर असीम प्रेम बरसाते हैं.यह वही प्रसंग है, जब सीता माता की खोज में समुद्र के पार लंका भेजे जाने के लिए

जामवंत हनुमानजी को उनके असीम-अपार बल का स्मरण कराते हैं. इसके पाठ से बड़ी से बड़ी बाधाएं दूर होती हैं और सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं...

अंगद कहइ जाउं मैं पारा। जियं संसय कछु फिरती बारा.

जामवंत कह तुम्ह सब लायक. पठइअ किमि सबही कर नायक.

कहइ रीछपति सुनु हनुमाना. का चुप साधि रहेहु बलवाना. 

पवन तनय बल पवन समाना. बुधि‍ बिबेक बिग्यान निधाना.

राम काज लगि तव अवतारा. सुनतहिं भयउ पर्बताकारा.

कनक बरन तन तेज बिराजा. मानहुं अपर गिरिन्ह कर राजा .

सिंहनाद करि बारहिं बारा. लीलहिं नाघउं जलनिधि खारा.

सहित सहाय रावनहि मारी. आनउं इहां त्रिकूट उपारी.

जामवंत मैं पूंछउं तोही. उचित सिखावनु दीजहु मोही

एतना करहु तात तुम्ह जाई. सीतहि देखि कहहु सुधि आई.

तब निज भुज बल राजिवनैना. कौतुक लागि संग कपि सेना.

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