भारतीय वीरांगना की वो तलवार, दुश्मन अंग्रेज़ों ने भी माना था जिसका लोहा
भारतीय वीरांगना की वो तलवार, दुश्मन अंग्रेज़ों ने भी माना था जिसका लोहा
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क्या झांसी की रानी लक्ष्मी बाई सचमुच वीरांगना थीं. या फिर कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता की पंक्तियां ‘खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी’, कोई अतिशयोक्ति थी. यह जानना कम दिलचस्प नहीं है कि कैसे एक 29 वर्षीय महिला ने ताकतवर ब्रिटिश सेना के दांत खट्टे कर दिए और विरोधियों तक को अपनी वीरता का मुरीद बना दिया. आखिर ऐसा क्या था जो देश की तमाम रियासतों के राजा ना कर सके और रानी लक्ष्मी बाई ने कर दिखाया. कैसे उस देश में रानी लक्ष्मीबाई ने ऐसा रण कौशल दिखा दिया जहां महिलाओं के लिए शस्त्र उठाना ही बहुत बड़ी बात मानी जाती है.

मनु ने घर पर ही पढ़ाई-लिखाई की और नाना साहेब और तात्यां टोपे उनके बचपन के मित्र थे. उन्होंने निशानेबाजी और मलखम्भ भी सीखा था. मणिकर्णिका की शादी झांसी के महाराज गंगाधऱ राव नेवलकर से 1842 में हुई थी, विवाह के दिन ही उनका नाम लक्ष्मीबाई रख दिया गया. 1851 में उनका एक बेटा भी हुआ, जो पैदा होने के चार महीने के बाद ही चल बसा. महाराज गंगाधर ने अपने निधन से एक दिन पहले  अपने चचेरे भाई के लड़के आनंद राव को गोद ले लिया, जिसका नाम दामोदर राव रखा गया. 23 मार्च 1858 को अंग्रेजों ने झांसी पर हमला किया और 3 अप्रैल तक जम कर जंग हुई, जिसमें तात्या टोपे ने रानी को का साथ दिया जिसके कारण अंग्रेज झांसी में 13 दिन तक नहीं घुस पाए. अंततः 4 अप्रैल को अंग्रेज झांसी में घुस गए और लक्ष्मीबाई को झांसी छोड़ना पड़ा. रानी एक ही दिन में कालपी पहुंचीं जहां उन्हें नाना साहेब पेशवा, राव साहब और तात्या टोपे का साथ मिला. फिर ये सभी ग्वालियर पहुंचे जहां निर्णायक जंग हुई.

17 जून को रानी लक्ष्मीबाई का अंतिम, किन्तु ऐतिहासिक युद्ध शुरू हुआ. ह्यूरोज के नेतृत्व में अंग्रेजों की घेराबंदी से रानी लक्ष्मीबाई घिर गईं थीं. रानी को लड़ते हुए गोली लगी थी, जिसके बाद वे अपने भरोसेमंद सिपाहियों के साथ बाहर निकल गईं. उनका पीछा करते हुए अंग्रेज सिपाही की तलवार ने उने सिर पर वार किया, मगर उनका शव उनके विश्वस्तों से अंग्रेजों दूर ले गए और फ़ौरन ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया, जिससे उनकी पार्थिव देह भी अंग्रेजों के हाथ ना आ सके. भले ही रानी, अंग्रेज़ों से जीत नहीं पाई, लेकिन अंग्रेज़ सैनिक और सेनापति रानी की बहादुरी के कायल जरूर हो गए.

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