रमजान का माह मुस्लिम धर्मावलंबियों में बेहद पवित्र माना जाता है. इस माह के माध्यम से जहां मुस्लिम धर्मावलंबी खुदा की इबादत में लगे रहते हैं. वहीं लोग इस माध्यम से नियम में रहना सीख लेते हैं. इस पर्व में खान-पान समेत अन्य सामग्रियों पर संयम रखने जैसा है. दरअसल यहां पर अरबी भाषा को सोम कहा जाता है. सोम के माध्यम से व्यक्ति नियंत्रण सीखता है. दरअसल नमाज पढ़ने के नियम होते हैं इस माह में व्यक्ति जहां खान-पान का पालन करता है. वहीं वह खुदा की इबादत में लगा रहता है. उसकी आत्मा साफ हो जाती है।
उसमें सुधार हो जाता है. व्यक्ति अपनी कमाई का कुछ भाग गरीबों में वितरित कर देता है. इस्लाम में रोजे, जकात और हज तीनों फर्ज माने जाते हैं. इस माध्यम से व्यक्ति अपने में बदलाव करता है. इस माह में व्यक्ति खुदा की ईबादत के ही साथ अपने व्यवहार में भी बदलाव लाता है. यह माह सभी को प्रेम, भाईचारा और इंसानियत का संदेश भी प्रदान करता है।
जब व्यक्ति खान-पान पर नियंत्रण रखता है. वह भूखा और प्यासा रहकर खुदा की इबादत करने वालों के गुनाह माफ कर देता है. उसके दो जख के दरवाजे भी बंद हो जाते हैं. इस माध्यम से जन्नत की राह खुल जाती है. रोजा एक अच्छा जीवन जीने का प्रशिक्षण देता है. यह भूख-प्यास को समझने का माह है. इसके लिए रोजेदारों में भले और बुरे को लोग समझ सकें।