रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में मिल गया कोरोना से बचाव का तरीका
रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में मिल गया कोरोना से बचाव का तरीका
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इस समय वैश्विक महामारी कोरोना ने सभी के दिलों दिमाग में एक डर पैदा कर दिया है. बीते दो महीने से भी ज्यादा समय से दुनिया ठहर चुकी है. ऐसे में भारत समेत अनेक देशों में लॉकडाउन है और अब यह लॉकडाउन 31 मई तक के लिए लग चुका है . ऐसे में इस समय कोरोना से निपटने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं. वैसे इसी क्रम में सोशल मीडिया के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड की कुछ चौपाइयां और दोहे कोरोना से जुड़ा हुआ हैं.

जी दरअसल इसमें कोरोना से बचाव के तरीके भी दिए गये हैं. आइए जानते हैं. दरअसल रामचरितमानस का नित्य पाठ करने वाले  एक युवक ने कहा हैं कि ''रचित रामचरितमानस की पृष्ठ संख्या 538 की चौपाई ध्यातव्य है'' - सब कै निन्दा जे जड़ करही. ते चमगादुर होइ अवतरहीं. सुनहू तात अब मानस रोगा. जिन्ह ते दुख पावहिं सब लोगा. मोह सकल व्याधिह्न कर मूला. तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला. काम बात कफ लोभ अपारा. क्रोध पित्त नित छाती जारा. इसका मतलब है कि जब पृथ्वी पर निन्दा बढ़ जाएगी, पाप बढ़ेंगे, तब चमगादड़ अवतरित होंगे और उनसे सम्बन्धित बीमारियाँ फैल जाएंगी और लोग मरेंगे. इसमें कफ, खाँसी बढ़ जाएगी और फेफड़ों में एक जाल या आवरण उत्पन्न होगा.

इसी तरह दोहा 121 (क) ध्यातव्य है - एक ब्याधि बस नर मरहिं, ए असाधि बहु ब्याधि. पीड़हिं सन्तत जीव कहुँ, सो किमि लहै समाधि. इसका मतलब है एक बीमारी, जिसमें सिर्फ नर मरेंगे. और इसकी दवा है प्रभु का भजन, दान व समाधि (एकान्त) में रहना. वैसे सोशल मीडिया पर इस समय इसी को लेकर चर्चा हो रही है और कई लोगों का मानना है यह बात सही है. अगर रामचरितमानस की इन चौपाइयों का पाठ कर लिया जाए तो कोरोना वायरस से बचा जा सकता है.

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