रम्भा तीज पर ऐसे करें साधना, जो मांगेंगे यह मिलेगा
रम्भा तीज पर ऐसे करें साधना, जो मांगेंगे यह मिलेगा
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आप सभी को बता दें कि आज रम्भा तीज है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं रम्भा तीज की साधना का तरीका. आइए जानते हैं.

रम्भा अप्सरा साधना सामग्री-

-   रम्भा यन्त्र

-   अप्सरा माला 

-   गुलाब के फुल व अगरबत्ती

-   गुलाबी रंग का कपडा

-   दीपक

-   आसन, जिसपर पिला वस्त्र बिछा हो

-   लकड़ी की चौकी

-   अक्षत ( बिना टूटे चावल )

-   सौंदर्य गुटिका

-   साफल्य  मुद्रिका

-   इत्र 

-   स्टील की प्लेट

-   मुद्रिका

-   2 फूलों की माला 
  
सही दिन : पूर्णिमा की रात्री या शुक्रवार का दिन

साधना समय : इस साधना को 9 दिनों तक रात्री में ही करना है. 

रम्भा अप्सरा साधना विधि - इसके लिए साधना आरम्भ करने से पहले आप नहा धोकर अच्छे कपडे पहन खुद को शुद्ध और पवित्र कर लें. उसके बाद आप पीले रंग के आसन पर बैठ जाएँ और पूर्व दिशा की तरफ मुंह करें. ध्यान रखे कि आप अपने पास फूलों की 2 मालायें अवश्य रखें और जब अप्सरा आयें तो एक उसे पहना दें, दूसरी को वो आपको पहनाएगी. वहीं आप अगरबत्तियां और 1 घी के दीपक जलाएं. अपने सामने खाली स्टील की प्लेट को रखना बिलकुल ना भूलें. अब आप गुलाब की पंखुडियां लेते हुए अपने दोनों हाथों को जोड़ें और “ ओ राम्भे आगच्छ पूर्ण यौवन संस्तुते ” मंत्र का जप करें. हर मंत्र के बाद आप कुछ पंखुड़ियों को स्टील की प्लेट में डालें. आपको कम से कम 108 बार इस मंत्र का जाप करना है. उसके बाद स्टील की थाली कुछ देर बाद पंखुड़ियों से भर जायेगी तो आप उसपर अप्सरा माला रख दें. 

आकर्षक अप्सरा रम्भा - अब आपको गुलाबी कपडे को बिछाकर उसपर सौंदर्य गुटिका, साफल्य मुद्रिका और राम्भोत्किलन यंत्र को स्थापित करना है. इसके बाद आप उनका पंचोपचार पूजन करें और सारी सामग्री पर इत्र छिड़कना बिलकुल ना भूलें. इसके बाद गुलाबी रंग के चावलों के साथ यन्त्र की पूजा करें और निम्नलिखित मन्त्रों का जाप करें. 

ॐ दिव्यायै नमः | ॐ वागीश्चरायै नमः | ॐ सौंदर्या प्रियायै नमः |

ॐ योवन प्रियायै नमः | ॐ सौभाग्दायै नमः | ॐ आरोग्यप्रदायै नमः |

ॐ प्राणप्रियायै नमः | ॐ उर्जश्चलायै नमः | ॐ देवाप्रियायै नमः |
 
ॐ ऐश्वर्याप्रदायै नमः | ॐ धनदायै धनदा रम्भायै नमः |
 
आप हर मंत्र के जाप के बाद कुछ चावलों को यन्त्र पर अवश्य डालते जाएँ. इसके बाद आपको 15 अप्सरा माला तक इस मंत्र को जपना है. 

“ ॐ ह्रीं रं रम्भे आगच्छ आज्ञां पालय मनोवांधितं देहि एं ॐ स्वाहा “

इस तरह आपकी अप्सरा साधना पूर्ण होती है. 

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