'बंगाल में हिंसा के लिए राम-श्याम और वाम जिम्मेदार..', सीएम ममता ने पुलिस को दी खुली छूट, अब कहा- कार्रवाई करो
'बंगाल में हिंसा के लिए राम-श्याम और वाम जिम्मेदार..', सीएम ममता ने पुलिस को दी खुली छूट, अब कहा- कार्रवाई करो
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कोलकाता: पंचायत चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हुई भीषण हिंसा और रक्तपात के लिए राज्य की सीएम ममता बनर्जी ने ‘राम, श्याम और वाम’ को जिम्मेवार करार दिया है। उन्होंने ‘राम, श्याम और वाम’ के जरिए भाजपा, कांग्रेस और वामपंथी दलों पर हमला बोला है। सीएम बनर्जी ने कहा कि, 'मेरा कोई अपराध हो तो जनता मुझे सजा दे सकती है। लेकिन मैं यह कहनी चाहती हूँ कि जनता ने मुझे आशीर्वाद दिया। हम महात्मा गाँधी, सुभाषचंद्र बोस और स्वामी विवेकानंद जैसे लोगों के अनुयायी हैं।'

उन्होंने आगे कहा कि, 'मैं हिंसा का समर्थन नहीं करती, ना ही नफरत एवं हिंसा की सियासत करती हूँ। मुझे यह कहते हुए बेहद दुख हो रहा है कि राम, श्याम और वाम ने मिलकर चुनाव में बाधा डालने के लिए हिंसा की।' ममता बनर्जी ने आगे कहा कि ये हिंसा राज्य के कुछ ही इलाकों में हुई हैं। 70 हजार बूथों में से केवल 60 बूथों पर हिंसा हुई। इस हिंसा के लिए उन्होंने भाजपा को दोषी ठहराते हुए कहा कि भाजपा को राजनीति छोड़ देनी चाहिए। सीएम ममता ने कहा कि, 'लोकतंत्र की हत्या करने वालों को सियासत में रहने का कोई अधिकार नहीं है। मैं लंबे समय तक चुप रही, मगर मेरे सब्र की भी एक सीमा है। सत्ताधारी भाजपा ने फर्जी प्रोपगेंडा फैलाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।'

सीएम ममता ने बंगाल में हुई हिंसा की जाँच के लिए पुलिस को भी खुली छूट दे दी है। उन्होंने कहा कि पुलिस पता लगाएगी कि इस हिंसा के पीछे कौन है। उन्होंने दावा किया कि, मारे गए लोगों में सबसे अधिक तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कार्यकर्ता हैं। ममता ने हिंसा में जान गँवाने वाले लोगों के परिवार वालों के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा कि हिंसा में 19 लोगों की मौत हुई है और उनके परिजनों को सरकार 2-2 लाख रुपए मुआवजा देगी। इसके साथ ही, परिवार के एक सदस्य को स्पेशल होमगार्ड की नौकरी दी जाएगी। 

वहीं, पंचायत चुनाव में मिली प्रचंड जीत पर सीएम ममता ने लोगों को बधाई भी दी। राज्य चुनाव आयोग (SEC) के बुधवार की शाम बजे तक के आँकड़ों के अनुसर, TMC ने 63,229 ग्राम पंचायत सीटों में से 34,901 पर जीत हासिल कर ली है, जबकि अन्य 613 पर उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। 

बंगाल और हिंसा का पुराना इतिहास:-

बता दें कि, बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा का पुराना इतिहास रहा है, ये तब भी होती थी, जब वहां CPM का शासन था, जब ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) वहां अपनीं जड़ें जमानें की कोशिश कर रही थी और भाजपा का कोई नामोनिशान नहीं था। बीते दिनों बंगाल में हुए पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा के डर से 133 लोगों ने पलायन कर पड़ोसी राज्य असम में शरण ली है, इनमे से अधिकतर भाजपा-कांग्रेस और लेफ्ट के कार्यकर्ता हैं। वहीं, BSF के के DIG सुरजीत सिंह गुलेरिया ने कहा था कि मतदान के दौरान संवेदनशील बूथों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्होंने बंगाल चुनाव आयोग से ऐसे इलाकों की सूची मांगी थी, जहाँ हिंसा भड़कने की आशंका हो, लेकिन उन्हें वो सूची नहीं दी गई। 

बता दें कि इसके पहले विधानसभा चुनाव के दौरान भी हिंसा के शिकार हुए हज़ारों लोगों ने असम में जाकर शरण ली थी, जिसमे अधिकतर भाजपा कार्यकर्ता थे। इसे लेकर राज्य की सियासत में काफी हंगामा मचा था। यहाँ तक कि, सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल हुई थी कि, बंगाल चुनाव के दौरान 1 लाख लोगों ने पलायन किया है। रामनवमी पर बंगाल में हुई हिंसा और शोभायात्रा पर हुए हमलों पर केंद्र की फैक्ट फाइंडिंग टीम बंगाल पहुंची थी, लेकिन उन्हें पीड़ितों से मिलने ही नहीं दिया गया। जिसके बाद कोलकाता हाई कोर्ट ने NIA को जांच सौंपी थी, लेकिन NIA ने अदालत को बताया था कि, बंगाल सरकार और पुलिस उन्हें हिंसा से संबंधित दस्तावेज और जानकारी ही नहीं दे रही है, जिससे जांच अटकी हुई है। इस तरह ये मामला भी ठंडे बास्ते में चला गया था, हालाँकि हाई कोर्ट ने खुद यह स्वीकार किया था कि, शोभायात्रा पर हमला एक सुनियोजित साजिश थी और ईंट-पत्थर पहले ही छतों पर जमा कर लिए गए थे। वहीं, इस हिंसा के लिए भी सीएम ममता बनर्जी ने विरोधी दलों को ही दोष दिया था। 

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