जलते शहर को शांति का पानी देते इमदादुल रशीदी
जलते शहर को शांति का पानी देते इमदादुल रशीदी
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एक ऐसा दौर जब देश के कई हिस्सों में नफ़रत की आग तेजी से जल रही है, एक ऐसा दौर जब आजादी के इतने सालों बाद भी बिहार और पश्चिम बंगाल दंगों की आग में जल रहे है, वहीं इन दंगों के बीच से एक खबर ऐसी आती है जब हम खुद पर गर्व करते हुए कहते है कि हम धर्म निरपेक्ष देश का हिस्सा है और इस पर हमे गर्व है, बात कर रहे है  इमाम इमदादुल रशीदी की जो पश्चिम बंगाल के आसनसोल के रहने वाले है, आसनसोल इस समय रामनवमी के बाद से दंगों की आग में झुलस रहा है. 

इमदादुल रशीदी, आसनसोल की मस्जिद में पिछले 30 सालों से इमाम है. हाल ही में चल रहे दंगों में उनका 16 साल का सबसे छोटा बेटा सिबतुल्ला रशीदी लापता हो गया था बाद में खबर मिली कि किसी ने उसको पीटकर मार डाला. इमदादुल रशीदी ने  गंगा-जमुनी तहजीब की ऐसी मिसाल पेश की है जो क्रूर दंगाइयों के मुंह पर तमाचा है. 

इमाम ने बेटे की मौत के बाद शहर के ईदगाह पर इमाम ने अपने मज़हब के सभी लोगों को बुलाकर अपील करते हुए कहा कि "हम सब यहाँ शांति के लिए एकजुट हुए है. मैं नहीं चाहता कि मेरे बेटे की तरह और भी बेटे मारे जाए. अगर आपने बदले की बात की तो मैं शहर और मस्जिद छोड़कर किसी दूसरे शहर चले जाऊँगा, हम सिर्फ शांति चाहते है"  इमाम इमदादुल रशीदी शांति की अपील मौजूदा दौर में कौमी एकता की ऐसी मिसाल है जिसकी हमे सबसे ज्यादा जरूरत है.

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