नाजुक समय में आध्यात्मिकता ही एकमात्र सहारा है : प्रणब मुखर्जी
नाजुक समय में आध्यात्मिकता ही एकमात्र सहारा है : प्रणब मुखर्जी
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नई दिल्ली : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा ‘नाजुक समय के लिए आध्यात्मिक समाधान’ विषय पर रविवार को इंदिरा गांधी स्टेडियम में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महासम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में 122 देशों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। इस मौके पर भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए।

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आध्यात्मिकता ही एकमात्र सहारा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि आज मानव समाज काम, क्रोध, लोभ और हिंसा रूपी भयावह समस्याओं से जूझ रहा है। चारों ओर लोग निराशा, भय, अशांति, असंतुष्टता व अवसाद से घिरे हुए हैं। वही इसका मूल कारण मानव के सामाजिक, नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों में गिरावट ही है। उन्होंने कहा कि ऐसे नाजुक समय में आध्यात्मिकता ही एकमात्र सहारा है जो मनुष्य की चेतना को संकीर्ण स्वार्थ, लोभ-लालच व धर्मांधता से ऊपर समग्र मानवता के साथ जोड़ सकती है और वसुधैव कुटुंबकम व विश्वबंधुत्व के परिवेश का निर्माण कर सकती है।

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और भी कई हस्तियों ने की शिरकत 

इसी के साथ उन्होंने कहा भारत का यह प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान व परंपरा विश्व को नई दिशा और दशा प्रदान करेगा। एक समृद्ध राष्ट्र और सुखमय विश्व के नवनिर्माण के लिए नई पीढ़ी को इस आध्यात्मिकता से प्रेरित करने की जरूरत है। वही इस महासम्मेलन में अर्जेंटीना की वाइस प्रेसिडेंट गेब्रियला मिस्टी ने कहा कि राजनीति का मतलब मानवता से प्रेम और उनकी परिवार के सदस्यों की तरह सेवा करना है। अगर मैं राजनीति को मानव सेवा से नहीं जोड़ती तो राजनीति मात्र शक्तियों का दुरुपयोग बनकर रह जाएगी।

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