रायपुर: उरला में बसुकीनाथ टायर टू आयल प्लांट में हुए धमाकों ने फैक्टरियों के मापदंडों की जांच करने वाले तमाम विभागों की पोल खोलकर रख दी है. विभाग के सभी इंस्पेक्टर और अफसर किस तरह से काम कर रहे हैं, यह इस फैक्टरी में दम तोड़ने वाले कर्मचारियों की हालत से अंदाजा लगाया जा सकता है. प्रदेश में ऐसे 4367 छोटे-बड़े उद्योग संचालित हैं, जिनमें 100 से ज्यादा अवैध रूप से चलाए जा रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि ये ऐसी फैक्टरियां हैं, जहां के मालिकों ने औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के मापदंडों का लाइसेंस नहीं ले रखा.
उरला की इस आयल फैक्टरी ने विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और इंडस्ट्रियल हेल्थ एंड सेफ्टी का लाइसेंस नहीं ले रखा था जबकि पर्यावरण बोर्ड, ग्राम पंचायत, नगर निवेशक और जिला उद्योग केंद्र का लाइसेंस इस कंपनी के पास था. पुलिस की अब तक की जांच में यह भी बात सामने आई है कि फैक्टरी के पास इस साल का पर्यावरण लाइसेंस भी नहीं था.
आयल फैक्टरी में ये लापरवाही मौत के लिए जिम्मेदार