युवराज पर भारी पड़ती मोदी लहर
युवराज पर भारी पड़ती मोदी लहर
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कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी बजट सत्र के दौरान ली गई छुट्टियों से लौटने के बाद कांग्रेस को उसका खोया हुआ मुकाम दिलवाने में लग गए हैं। हालांकि राहुल इस काम में कितने सफल रहे हैं यह तो अभी तक तय नहीं हो पाया है लेकिन आरएसएस द्वारा चलाई गई मोदी लहर से साफ हुई कांग्रेस को राहुल गांधी के प्रयासों से कुछ हिम्मत जरूर मिलती है। मगर उनके लाख प्रयास के बाद भी कांग्रेस को भाजपा के खिलाफ ऐसा कोई मौका नहीं मिल रहा है जिसे वह एक बड़ी सफलता के तौर पर भुना सके। हर हमले के बाद ऐसा लगता है जैसे राहुल पर ही पलटवार हो रहा हो। आखिर कांग्रेस ने यूपीए 1 और यूपीए 2 के इतने लंबे कार्यकाल में भ्रष्टाचार का बीज इतना बोया कि कोयले की कालिख के तौर पर सामने आया और फिर इसमें कांग्रेस के हाथ इस तरह से काले हुए कि खादी में अभी तक कालिख नज़र आ रही है। 

जी हां, कांग्रेस को पुनर्जीवित करने में उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार लगे हुए हैं सरकार द्वारा लाया जाने वाला भूमि अधिग्रहण बिल हो, मध्यप्रदेश में उपजा व्यापमं. घोटाला हो या फिर किसानों की हालत सुधारने का मसला हो राहुल हर मसले पर अपने विचार रख रहे हैं लेकिन इसके बाद भी वे प्रभावी नज़र नहीं आते। जिस भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर राहुल गांधी सरकार पर निशाना साध रहे हैं उसके खिलाफ वे पदयात्राओं के अलावा कुछ भी विशेष नहीं कर पाए हैं, ऐसे में उल्टा उन्हीं पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यूपीए के कार्यकाल में हुई किसान आत्महत्या पर उन्होंने क्यों ध्यान नहीं दिया।

महाराष्ट्र में तत्कालीन समय में इतनी मौतें हुईं किसान आत्महत्या की भेंट चढ़ गए मगर केंद्र और राज्य में उनकी सरकार होने के बाद भी उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया। ऐसे समय में जब उनके संसदीय क्षेत्र अमेठी में ही किसान बदलाह हैं वे पदयात्राओं से क्या संदेश देना चाहते हैं। फिर भूमि अधिग्रहण बिल तो तत्कालीन यूपीए सरकार भी लागू करने वाली थी। फिर वे अब क्यों विरोध करने में लगे हैं। यही नहीं जिस व्यापमं. मामले को वे भ्रष्टाचार का पिटारा कह रहे हैं उसमें कांग्रेस के नेता भी लपेटे में आ रहे हैं।

इस मामले में राज्यपाल को पद से हटाए जाने की कार्रवाई के बाद कांग्रेस पर भी सवाल उठने लगे हैं। जिन मेडिकल काॅलेजों में नियमविरूद्ध प्रवेश की बातें व्यापमं. और डीमैट के माध्यम से सामने आ रही हैं उनमें ऐसे महाविद्यालय भी हैं जिनमें कांग्रेस के बड़े नेताओं की या तो भागीदारी है या यहां के प्रशासन में उनकी पैठ है। ऐसे में इस मामले में कांग्रेसियों का दामन भी साफ नज़र नहीं आ रहा। सांसद राहुल गांधी अपना संसदीय क्षेत्र छोड़कर लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला कर रहे हैं लेकिन भाजपा लगभग हर राज्य से कांग्रेस का जनाधार कम करने में लगी है।

ऐसे में राहुल के प्रभाव पर सवाल लग रहे हैं। लोगों का यह भी कहना है कि राजस्थान की सरकार को रिमोट से चलने वाली सरकार बताने वाले राहुल कहीं कांग्रेस के आलानेताओं के इशारे पर तो अपनी कैंपेनिंग नहीं कर रहे हैं। ललित मोदी के मामले में जिस तरह से राहुल ने निशाना साधा है वह प्रभावी तो रहा लेकिन इस मामले में मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी लपेटे में लेकर नए सवाल पैदा कर दिए थे। हालांकि सियासतदार अब ये मानने लगे हैं कि राहुल इतने वर्षों में कुशलता से बोलना सीख गए हैं हो सकता है राजनीति के दांव पेंचों का सामना कर वे राजनीति भी अच्छे से सीख जाऐं।

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