अधूरे कार्य पूरे करने के लिए कार्यकाल में विस्तार चाहते थे राजन
अधूरे कार्य पूरे करने के लिए कार्यकाल में विस्तार चाहते थे राजन
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नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से अगले माह पदमुक्त होने वाले रघुराम राजन राजनीति के घिनौने हमलों का शिकार हो गए, अन्यथा वह अपने अधूरे कामों को पूरा करने के लिए कुछ और समय पद पर बने रहना चाहते थे. फिलहाल वह अपनी रवानगी से बहुत खुश है. यह बात एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कही.

उल्लेखनीय है कि राजन ने पिछले जून में कार्यकाल विस्तार न लेने का फैसला किया था. उनके अनुसार कार्यकाल विस्तार के लिए सरकार के साथ बातचीत की प्रक्रिया उस स्तर पर नहीं पहुंची थी जहां वह पद पर बने रहने के बारे में सहमति दे पाते. राजन ने स्पष्ट किया कि दुबारा नियुक्ति को लेकर कभी चिंता नहीं थी. उन्हें सरकार में भावी कैरियर को लेकर भी कोई चिंता नहीं थी. उनका मानना है कि उन्होंने देश के हित में सर्वश्रेष्ठ काम किया. उन्होंने खुद को टीम का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी माना.

मूलतः शिक्षाविद राजन ने चार सितंबर को कार्यकाल पूरा होने के बाद वापस अध्यापन में जाने की योजना बनाई है. राजन ने कहा कि अगर यूनीवर्सिटी में अध्यापन के दौरान उनकी चमड़ी मोटी हो जाती तो उन्हें हाल के हमले घिनौने नहीं लगते. हाल में हुए कुछ हमले बहुत गलत थे. ये हमले छवि बिगाड़ने के लिए लगाये गये थे. उनके पीछे कोई आधार नहीं था.

गौरतलब है कि राजन को आरबीआई गवर्नर के तौर पर तीन साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी से व्यक्तिगत हमले झेलने पड़े थे. स्वामी ने कहा था कि भारतीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के चीफ इकोनॉमिस्ट राजन को मानसिक रूप से पूर्ण भारतीय नहीं हैं. यह भी आरोप लगाया कि राजन ने गोपनीय और संवेदनशील वित्तीय जानकारी विदेश भेजी. राजन ने कहा कि लोग अक्सर उनसे दूसरे कार्यकाल के लिए उनकी इच्छा के बारे में पूछते हैं.

हालांकि उन्होंने आरबीआई में अपने कदम तीन साल का समय मानकर ही उठाये थे, फिर भी सार्वजनिक बैंकों की बैलेंस शीट दुरुस्त करने और मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का ढांचा बनाने के ऐसे काम हैं जो अधूरे रह गये हैं. इनके लिए वह कुछ अतिरिक्त कार्यकाल लेने के लिए विचार करने को तैयार थे, लेकिन अब वह यहां से जाते हुए पूरी तरह खुश हैं. राजन ने कहा कि उन्होंने कार्यकाल के दौरान जो काम हाथ में लिया था, 90-95 फीसद काम पूरा हो चुका है. उन्हें अपने काम में पूरी तरह आजादी मिली.

राजन बोले विरासत में कोई मुद्दा छोड़ना नहीं चाहता

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