नई दिल्ली : केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत के निजी क्षेत्र को निश्चित रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे अनजाने अन्वेषकों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना चाहिए जो रोजमर्रा की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन उनके पास इन्हें बढ़ावा देने तथा विपणन करने के अवसर नहीं हैं। आईआईटी दिल्ली में पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय भारतीय विज्ञान समारोह (IISF) के पहले संस्करण को संबोधित करते हर्षवर्धन ने कहा कि उद्यमशीलता के लिए हमें एक समावेशी दृष्टिकोण की जरूरत है। अनौपचारिक क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं जिनका दोहन निजी क्षेत्र भी कर सकता है।
समारोह में देश भर से आए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए अहमदाबाद के राष्ट्रीय नवाचार संगठन ने जमीनी स्तर के कई समाधानों की पहचान की है जिन्हें आगे बढ़ाया जा सकता है। इनमें से कुछ का विकास जनजातीय समुदायों के अन्वेषकों द्वारा किया गया है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में वैज्ञानिक अनुसंधान का मूल्य हर वर्ष 1 लाख करोड़ रुपये से 2 लाख करोड़ रुपये के बीच आंका गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद द्वारा किए गए एक स्वतंत्र अध्ययन से प्रदर्शित हुआ है कि केवल आईएमडी द्वारा की जाने वाली मौसम भविष्यवाणियों से ही मत्स्य क्षेत्र को वार्षिक रूप से 34,000 करोड़ रुपये तक का लाभ हुआ है।
आईआईएसएफ 2015 का आयोजन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालयों द्वारा देश के सबसे बड़े विज्ञान आंदोलन विज्ञान भारती द्वारा किया गया है जिसमें प्रौद्योगिकी सूचना, पूवार्नुमान एवं आकलन परिषद (टीआईएफएसी) नोडल एजेंसी है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक गिरीश साहनी ने इस बात की उम्मीद जताई कि यह महोत्सव भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
विज्ञान भारती के अध्यक्ष विजय पी भटकर एवं महोत्सव के वैज्ञानिक कार्यक्रम समिति के सदस्य सचिव सचिन माधवगाने ने कहा कि कि इस महोत्सव की विशेषता यह है कि अलग- अलग क्षेत्र के लोगों की रूचियों को ध्यान में रखते हुये अलग-अलग तत्वों एवं पहलुओं का समावेश किया गया है। इनमें वैज्ञानिकों एवं छात्रों के बीच संवाद से लेकर पुरस्कार विजेता विज्ञान फिल्मों एवं वृत्त चित्रों का प्रदर्शन शामिल हैं। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य भारतीय विज्ञान को आम लोगों के बीच ले जाना है तथा आम लोगों एवं वैज्ञानिक समुदाय के बीच सेतु तैयार करना है।