स्वास्थ्य के विषय में आपने बहुत बार ‘संतुलित भोजन’ इन दो शब्दों को सुना होगा । ये दो शब्द हैं भी इतने महत्वपूर्ण कि, स्वास्थ्य संबंधी कोई भी चर्चा इनके बिना अधूरी ही रहती है। चूंकि मनुष्य अपने शरीर का पोषण, काम करने के लिए ऊर्जा और रोगों से बचने के लिए प्रतिरक्षा-शक्ति सब कुछ भोजन से ही प्राप्त करता है, इसलिए भोजन का महत्व तो हर कोई समझता है। किन्तु, ‘कब, कैसा व कितना भोजन लेना चाहिये’, इस बारे में पर्याप्त जानकारी काम ही लोगों को है ।
अब जरा भोजन के आगे लगे हुए इस ‘संतुलित’ विशेषण का आशय समझें। वैसे आम भाषा में संतुलित शब्द का अर्थ भी सब जानते हैं, बस यहाँ ‘भोजन के संतुलन’ का अर्थ समझना है, यानि यह कि भोजन कैसे संतुलित होता है ? आम व्यक्ति आपने भोजन को संतुलित कैसे बनाए? और इसका फायदा क्या है, तथा संतुलित भोजन ही क्यों करें?
संतुलित भोजन क्या होता है ?
हमारे भोजन में पानी के अलावा, रासायनिक विश्लेषण अनुसार 6 प्रकार के पदार्थ होते हैं, जो हमारे शरीर की अलग-अलग जरूरतों को पूरा करते हैं । इन्हे ‘भोजन के अंग’ भी कहते हैं । शरीर को इन पदार्थों की आवश्यकता अलग-अलग अनुपात या मात्रा में होती है । अतः ऐसा भोजन जिसमें ये 6 प्रकार के पदार्थ सही (याने संतुलित) अनुपात में हों, वह ‘संतुलित भोजन’ कहलाता है । अपने शरीर की अवस्था के अनुरूप संतुलित भोजन से शरीर की अवश्यकताए सही ढंग से पूरी होती है इसलिए ऐसा भोजन ही ‘स्वास्थ्यप्रद भोजन’ होता है। इनके बारे में ये बातें जानना बहुत जरूरी है:
भोजन के 6 अंग, उनके मुख्य कार्य व मुख्य स्रोत
ये 6 पदार्थ या भोजन के 6 अंग हैं: 1) कार्बोहायड्रेट्स 2) प्रोटीन्स 3) वसा या चिकनाई 4) विटामिन्स 5) मिनरल्स 6) रेशा या फाइबर । इन सभी का अपना-अपना बहुत महत्व है, किसी का कम या किसी का अधिक नहीं मानना चाहिये । इनकी आवश्यकता की मात्रा तो व्यक्ति की उम्र, उसके कार्य का प्रकार, ऊंचाई आदि कई आधारों से तय होती है ।
संतुलन के संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण है: “शुरू के तीन खास अंगों के अनुपात का नियम”। अधिकांश विशेषज्ञों के अनुसार सामान्य कामकाज वाले व्यक्ति के भोजन में प्रोटीन से कार्बोहायड्रेट्स की मात्रा पाँच गुना और वसा की मात्रा 60% के आस-पास । अर्थात सरल शब्दों में यदि एक युवा व्यक्ति एक दिन में 100 ग्राम प्रोटीन युक्त पदार्थ लेता है, तो उसे 500 ग्राम कार्बोहायड्रेट्स व 60 ग्राम वसा वाले पदार्थ लेना चाहिये । भोजन के शेष तीन अंग प्रमुख रूप से फलों व सब्जियों से मिलते हैं; इसलिए फल, सब्जी (कच्चे सलाद सहित) मिलाकर करीब 500 ग्राम लेना चाहिये ।
भोजन के इन अंगों के प्रमुख स्रोत:
उपरोक्त 6 अंगों में से कार्बोहायड्रेट्स मुख्यतः सभी अनाजों (गेहूं, चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा आदि), गुड़-शकर जैसी मीठी चीजों, मीठे फलों व आलू-रतालू जैसे कंदों से अधिक मात्रा में मिलते है । प्रोटीन्स मुख्यतः दालों, माँस-मछली, दूध, अंडा, मेवे आदि में अधिक होते है । वसा या चिकनाई के स्वभाविक स्रोत हैं तैल, घी, मक्खन, आदि । इसके अलावा विटामिन्स, मिनरल्स व रेशा, इन तीनों के खास स्रोत हैं फल एवं सब्जियाँ ।
मुख्य कार्य:
कार्बोहायड्रेट्स एवं वसा का मुख्य कार्य विभिन्न काम करने के लिये ऊर्जा प्रदान करना है । वसा शरीर के कई अंगों में लुब्रिकेंट्स का कार्य भी करती है । प्रोटीन का मुख्य कार्य है शरीर के विभिन्न ऊतकों का सतत निर्माण; युवावस्था तक शरीर के आकार में वृद्धि और फिर रोज ही खत्म होने वाली लाखों कोशिकाओ के स्थान पर नई कोशिकाए बनाना भी । विटामिन्स मिनरल्स और रेशा तीनों के काम को, संक्षेप में बताने के लिये यह कह सकते हैं कि वे तीनों शरीर को रोगों (या रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं) से लड़ने की शक्ति देते हैं तथा शरीर के विभिन्न महत्वपूर्ण 'कार्य-तंत्रों' को सुचारु रूप से चलाने में भी सहायक होते हैं ।
इस जानकारी के मुख्य सबक:
1) भोजन में जिस-जिस प्रकार के पदार्थों को हम खाते हैं, उन्ही पदार्थों को सही अनुपात में प्रतिदिन खाना ही संतुलित भोजन होता है ।
2) हमारे प्रत्येक भोजन में यदि सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों को हम सही अनुपात में शामिल करेंगे तो अपने-आप ही भोजन संतुलित हों जाएगा । यदि दिन के किसी भोजन में यह अनुपात बिगड़ गया हों, तो उसी दिन दूसरे भोजन में पहले जो चीज कम ली थी उसे बढ़ाकर व जो ज्यादा ली थी, उसे घटाकर, भोजन को उसी दिन संतुलित कर लेना चाहिये ।
3) शाकाहारियों के लिए सभी प्रकार की दालें ही प्रोटीन पाने की सबसे खास जरिया है, इसलिये खासकर बच्चों व युवाओं के लिए हर भोजन में कुछ ना कुछ दालों से बनी हुई चीज जरूर लेना चाहिये । मांसाहारियों की दाल की आवश्यकता कम हों जाती है।
4) फल- सब्जियों की भूमिका रोगों से लड़ने की शक्ति पैदा करने में बहुत महत्वपूर्ण है; इसके अलावा भी वे कई अति-महत्वपूर्ण काम करते हैं; इसलिए दिन-भर में 400 ग्राम से लेकर आधा किलो तक इन्हे लेते रहने से बहुत हद तक बीमारियों से बचा जा सकता है ।
5) भोजन को संतुलित बनाने का आसान तरीका है कि जब भी हम अल्पाहार (नाश्ता) या पूर्ण भोजन (लंच या डिनर) करें तो सभी प्रकार की चीजें यानि कुछ प्रोटीन प्रधान, कुछ कार्बोहायड्रेट्स प्रधान, कुछ वसा प्रधान एवं कुछ सब्जी-सलाद व फल आदि डिशेस सही अनुपात में खाएं ।
6) भोजन के हर अंग का समुचित ध्यान रखना चाहिये । किसी खास को आवश्यकता से कम या किसी को अधिक लेने से ही भोजन में असंतुलन पैदा होता है ।