रेड रिबन लगाने पर शर्म कैसी!
रेड रिबन लगाने पर शर्म कैसी!
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रेड रिबन को आपने अक्सर देखा होगा। आप कहेंगे हां यह तो स्कूली छात्राऐं अपने बालों में लगाती हैं, अजी वह रेड रिबन नहीं बड़ों वाली रेड रिबन। बड़ों वाली! अब भारत में विश्व की एक लाइलाज मानी जाने वाली बीमारी एड्स को लेकर चर्चा करना हो तो फिर इसमें कुछ सोचकर बात करनी पड़ती है। फिर इस विषय को बड़ों अर्थात् इसे एडल्ट माना जाता है। हालांकि यह कोई एडल्ट विषय नहीं है यह तो स्वास्थ्य का विषय है। विश्व में हर वर्ष करोड़ों लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं।

विश्व जनसंख्या रिपोर्ट 200 की एक रिपोर्ट के अनुसार यह जानकारी सामने आई है कि एचआईवी संक्रमण के जो रोगी सामने आते हैं उनमें लगभग आधे रोगी युवा वर्ग के होते हैं। इतना ही नहीं प्रति 14 सेकंड में करीब एक युवा एड्स से संक्रमित होता है।

यह मामला बेहद गंभीर है हालांकि अब एड्स को फैलने से बचाने के लिए जो जानकारी प्रसारित की जा रही है वह बढ़िया तरीके से प्रसारित हो रही है जिसके कारण अब लोग एड्स रोग को लेकर आशंकित कम होते हैं लेकिन अभी भी एड्स संक्रमित रोगियों को लेकर समाज में भ्रांतियां हैं। हालात ये हैं कि एड्स से संक्रमित हो जाने पर रोगियों को हीनभावना से देखा जाता है।

एड्स रोगी के साथ लोग बात करना व्यवहार करना पसंद नहीं करते हैं इतना ही नहीं कई मामलों में उनका जीवन काफी कठिन हो जाता है। ये लोग नौकरी पेशा जीवन तक सही तरह से नहीं जी पाते हैं। जबकि एड्स जैसा भयावह रोग सेना के जवानों को तक संक्रमित कर रहा है। सेना के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस मामले में कई बार गंभीरता से सवाल किए हैं।

ऐसे में एड्स ग्रस्त रोगियों को लेकर व्यवहार और सामाजिक स्तर पर जागृति जगाने और इस दिशा में सकारात्मक कार्य करने की जरूरत है। आधुनिक शैली में जिस तरह से यौन व्यवहार को अपनाया जाता है उससे असावधानी रखने पर एड्स का संक्रमण फैलने का अंदेशा अधिक होता है। मगर अब लोगों के बीच कंडोम के उपयोग के बढ़ते चलन के कारण एड्स की भयावहता कम होने की संभावना बनी है

हालांकि अभी भी कंडोम की बात को सामाजिक स्तर पर घृणा से देखा जाता है लेकिन जब आधुनिक जीवन शैली में यौन जनित व्यवहार काफी खुला हो गया है तो फिर कंडोम को एक अच्छी आदत के तौर पर उपयोग किए जाने में लोगों को झिझक क्यों होती है। यह एक बड़ा सवाल है। बहरहाल एड्स के भयावह संक्रमण के लिए अभी भी जानकारी और जागरूकता को ही एकमात्र बचाव माना जा रहा है और लोगों से अपील की जा रही है कि लोग एड्स संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने, उसे छूने से परहेज न करें।

 

 

 

 

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