गैर संक्रामक रोगों से निपटने को ब्लूप्रिंट तैयार
गैर संक्रामक रोगों से निपटने को ब्लूप्रिंट तैयार
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नई दिल्ली : गैर संक्रामक रोगों (एनसीडीज) की वजह से विश्व की एक-तिहाई आबादी की जिंदगी समय से पहले ही खत्म हो जाती है। कैंसर, मधुमेह, हृदय, श्वास रोग, मानसिक रोगों जैसे गैर संक्रामक रोगों से बेहतर तरीके से निपटने के लिए अभी तक कारगर कदम नहीं उठाए गए हैं। इसी दिशा में पार्टनरशिप टु फाइट क्रॉनिक डिजीज (पीएफसीडी) ने हाल ही में संकल्प-दिशा स्वस्थ भारत की नाम से एक राष्ट्रीय रूपरेखा (ब्लूप्रिंट) पेश की है। इस ब्लूप्रिंट का उद्देश्य देश में 2025 तक स्वस्थ भारत के विजन को हासिल करने में सहयोग देना है, ताकि कैंसर, हृदयरोग, मधुमेह, श्वास संबंधी बीमारियों जैसे गैर संक्रामक रोगों के बढ़ते मामलों पर नियंत्रण रखा जा सके।

भारत के महापंजीयक (रजिस्ट्रार जनरल) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश में गैर संचारी रोग मृत्यु का प्रमुक कारण बनते जा रहे हैं और देश में कुल मौतों में से एनसीडीज से मरने वालों का अनुपात 42 प्रतिशत से अधिक है। इन रोगों से मरने वाले सर्वाधिक लोग 35 से 64 वर्ष की आयु समूह के हैं। पीएफसीडी के अध्यक्ष डॉ. केनेथ ई.थोर्पे का कहना है कि यह राष्ट्रीय ब्लूप्रिंट देश में एनसीडीज के बढ़ रहे प्रकोप को रोकने में मददगार होगा, क्योंकि देश में इन रोगों के प्रबंधकीय ढांचे का अभाव है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जनवरी 2015 में गैर संक्रामक रोगों पर एक वैश्विक रिपोर्ट भी जारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 1.6 करोड़ लोगों की कैंसर, मधुमेह और ह्दयघात जैसे गैर संक्रामक रोगों की वजह से समय से पूर्व ही मृत्यु हो जाती है। डब्ल्यूएचओ ने इस रिपोर्ट में साफतौर पर कहा है कि इन मामलों में अधिकतर लोगों की जान बचाई जा सकती थी। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के उपाध्यक्ष एवं सेंटर फॉर कंट्रोल क्रॉनिक कंडीशंस के निदेशक डॉ. प्रभाकरन दोरइराज ने बताया कि हमारे देश में गैर संक्रामक रोगों से निपटने की नीति असंगठित है। इस ब्लूप्रिंट से राज्यों को स्वास्थ्य संबंधी मामलों को प्राथमिकता देने में मदद मिलेगी।

संयुक्त राष्ट्र ने भी हाल ही में सितंबर में सतत विकास लक्ष्यों को अपनाते हुए आगामी 15 वर्षो के लिए वैश्विक विकास एजेंडे को पेश किया था, जिसमें गैर संक्रामक रोगों की वजह से होने वाली मृत्यु दर को कम करने के लिए भी प्रतिबद्धता जताई गई थी। गैर संक्रामक रोगों के बढ़ते मामलों के बड़ी आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। जरूरत है जागरूकता और सही इलाज की, क्योंकि ये देश के सामाजिक एवं आर्थिक दोनों तरह के विकास के समक्ष गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं।

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