जनधन योजना बन रही बैंकों के गले की फांस
जनधन योजना बन रही बैंकों के गले की फांस
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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रारंभ की गई प्रधानमंत्री जनधन योजना को लेकर एक नई जानकारी सामने आई है जिसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री जनधन योजना में जो खाते खोले गए हैं उनमें से करीब सौलह करोड़ खाते ऐसे हैं जो जीरो बैलेंस युक्त हैं, और इन खातों से एक बार भी ट्रांसक्शन नहीं हुआ है। मामले में कहा गया है कि यदि इस तरह के हालात बने रहे तो बैंक मुश्किल में आ सकते हैं। बैंकों का मानना है कि ऐसे खातों के रखरखाव पर बड़े पैमाने पर व्यय होता है। आखिर इसका खर्च कैसे मैनेज किया जाएगा। मगर यहां एक अच्छी बात यह है कि यदि इन खातों से अभी तक कोई लेन देन ही नहीं हुआ है तो इन खातों में सरकार को ओव्हर ड्राफ्ट के तौर पर पांच हजार रूपए जमा नहीं करने होंगे। इससे सरकार को कुछ राहत जरूर मिलेगी।

मिली जानकारी के अनुसार भारत सरकार द्वारा जोर - शोर से प्रधानमंत्री जनधन योजना की शुरूआत की गई।इस दौरान यह कहा गया कि इस तरह से भारत के हर नागरिक में बचत की आदत विकसित होगी और गरीब का आर्थिक विकास होगा लेकिन योजना को काफी समय बीत जाने के बाद और इस योजना से करोड़ों लोगों को जोड़े जाने के बाद यह बात सामने आ रही है कि जिन लोगों ने जीरो बैलेंस से अपने खाते खोले थे उनके द्वारा अपने खाते में कोई राशि ही जमा नहीं की गई है और खाते में लगभग 53 प्रतिशत लोगों द्वारा एक बार भी कोई ट्रांसक्शन नहीं किया गया है।

जिसके बाद परेशानी यह सामने आई है कि इन खातों को मैनेज करने के लिए बैंकों को अपने कर्मचारी खपाने पड़ रहे हैं तो दूसरी ओर इन्हें मैनेज करने के लिए अरबों रूपए व्यय हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि एक खाते को खोलने पर उसके मैनेजमेंट में करीब 250 रूपए प्रतिवर्ष का खर्च आता है ऐसे में 16 करोड़ खातों के लिए बैंकों को लगभग 2100 करोड़ रूपए का खर्च करना होगा। इस दौरान बैंक बचत खाते में जमा होने वाली राशि को लेकर 4 प्रतिशत ब्याज देती है। यही नहीं कर्ज पर ब्याज वसूला जाता है इस तरह से बैंक का प्रबंधन चलता है लेकिन जब खाते में कोई राशि ही नहीं हो तो बैंक के लिए काफी परेशानी होती है।

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