राजनीति के दंगल से नेताओं को लगी मंगल होने की आस
राजनीति के दंगल से नेताओं को लगी मंगल होने की आस
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एक बार फिर देश की राजनीति गर्मा गई है। इस बार सर्द मौसम में राजनीतिक माहौल गर्मा रहा है। फिर से विभिन्न दलों द्वारा दबंग वर्सेस दलित का राजनीतिक खेल खेला जा रहा है। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थी द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद सियासतदारों को जैसे पंख लग गए। अन्य महत्वपूर्ण मसलों को छोड़कर राजनेता केवल इसी मसले पर केंद्रित हो गए। कांग्रेस, भाजपा, द्वारा अलग तरह की राजनीति की जा रही है।

कांग्रेस विरोध कर गेंद केंद्र सरकार के पाले में फैंक रही है तो भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपना बचाव किया जा रहा है। भाजपा बचाव की मुद्रा में है तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी भी विरोध की राजनीति में कूद पड़ी है। लगता है दिल्ली की राज्य सरकार को केंद्र सरकार द्वारा किए गए हमलों का जवाब देने का माकूल अवसर मिल ही गया।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भाजपा प्रभुत्व वाले गठबंधन पर आरोप लगाने में लगे हैं। फौरी तौर पर उन्हें पंजाब की राजनीति से भी मतलब नहीं रहा। एक विद्यार्थी को होस्टल से निकाले जाने का विरोध किया जा रहा है। इसे दबंग बनाम दलित की राजनीति कहा जा रहा है नेताओं द्वारा कहा जा रहा है कि यह सब उचित नहीं है। आखिर इस तरह की राजनीति के मायने क्या हैं।

क्या कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इंडियन पोलिटिकल लीग के मैच में गुगली डालकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन बोल्ड करने की तैयारी अभी से कर ली है। जिसके कारण वे कभी असहिष्णुता कभी दादरी कांड, तो कभी दलित बनाम दबंग का मसला लेकर विरोध करने उतर जाते हैं। 

हालांकि केंद्र सरकार के लिए काफी मुश्किल हो सकती है, दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में काबिज होने से पहले जो वायदे किए थे वे वायदे पूरे होते नज़र नहीं आ रहे हैं। महंगाई पहले की ही तरह बनी हुई है, गनीमत है कि जीएसटी बिल अभी तक पारित नहीं हुआ नहीं तो महंगाई और बढ़ने का अंदेशा रहता हालांकि सरकार इसे राजस्व प्राप्ति और विकास के लिए बेहद आवश्यक बता रही है।

तो दूसरी ओर आतंकी हमले और सीमा पार से फायरिंग के प्रयास अभी भी जारी हैं। केंद्र सरकार इस मसले पर भी अंतर्राष्ट्रीय दबाव झेल रही है। हालांकि कांग्रेस ने इन मुद्दों पर सरकार के सामने अधिक मुश्किल खड़ी नहीं की है कांग्रेस का सारा ध्यान मुस्लिम वोट बैंक को सहेजने का नज़र आ रहा है। दूसरी ओर सरकार अल्पसंख्यकों के हितों में कार्य करने की बात कर उन्हें अपनी ओर खींच रही है। राजनीतिक की नूराकुश्ती बदस्तूर जारी है। इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अन्य लोगों के साथ मिलकर अपने लिए राजनीति की नई संभावनाऐं तलाश रहे हैं। 

'लव गडकरी'

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