माल्या मंत्र से विपक्ष मचा रहा हंगामा, प्रभावित हो रहे मसौदे
माल्या मंत्र से विपक्ष मचा रहा हंगामा, प्रभावित हो रहे मसौदे
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एक बार फिर भारत में एक अमीर के परदेश भाग जाने का हो हल्ला मचा। संसद के गलियारों में विरोधी आवाज़ें गूंजी। फिर विपक्ष को एक मौका मिला सत्ता पक्ष को घेरने का । जी हां। विपक्ष ने जमकर हंगामा मचाया और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। हालांकि केंद्र ने ललित मोदी गेट कांड की ही तरह अपना बचाव किया और इस अमीर व्यक्ति से जुड़े मसले यूपीए के कार्यकाल के होने की बात कह दी। आखिर कौन है यह अमीर व्यक्ति, आखिर किसकी हो रही है बात। ये और कोई नहीं मुकिश्लों में रहने के बाद भी अपने अंदाज़ में जीने वाले। किंगफिशर के मालिक और बियर किंग कहलाने वाले विजय माल्या हैं।

माल्या विदेश क्या चले गए हंगामा ऐसा होने लगा जैसे पीएम मोदी ने फिर से विदेश दौरा कर लिया हो। दरअसल विजय माल्या पर बैंकों के 9 हजार करोड़ रूपए बकाया हैं। जिन्हें न चुकाने के चलते माल्या को इस तरह से विदेश जाना पड़ा। हालांकि सरकार इसके पहले ललित मोदी के वीज़ा मामले में विरोध का सामना कर चुकी है। इस दौरान भी हंगामा हुआ था और सदन की कार्रवाई काफी दिनों तक बाधित हुई थी।

लगभग पूरे सत्र में ही हंगामा हुआ था। मगर बाद में ललित मोदी गेट कांड का यह जिन्न बोतल में चला गया तो फिर अभी तक बाहर नहीं निकला है। अब विपक्ष के हाथ एक नया मसला लग गया है। विजय माल्या के विदेश चले जाने का। लगता है विपक्ष ने हंगामे की राजनीति से विरोध की पद्धति को अपना लिया है। यह कांग्रेस की परंपरागत राजनीति का भाग रही है। हंगामा खड़ा कर दिया जाए और फिर इस हंगामे की आड़ में केवल सदन को बाधित किया जाए। ऐसे में सदन में उस सत्र में महत्वपूर्ण बिल और विधेयक पेश होने से रह जाऐं।

ऐसे में सरकार कार्य नहीं कर पाएगी और मोदी सरकार जनता के बीच वाह - वाही नहीं लूट पाएगी। हालांकि विजय माल्या के मामले में भी त्वरित तौर पर होना कुछ भी नहीं है। विजय माल्या को भारत लाने के लिए सरकार पहले ही आश्वासन दे चुकी है यही नहीं अब इस मामले में सरकार द्वारा विदेशों में कार्रवाई की औपचारिकता किए जाने की संभावना है लेकिन विपक्ष और सत्ता पक्ष को एक नया मसला हाथ लग गया है जो कि हंगामे को तो जारी रख सकता है साथ ही केंद्र सरकार की कमियों को दबाने के लिए उचित है। यूं तो विजय माल्या के मामले में सत्तापक्ष पर विपक्ष कई तरह के सवाल कर रहा है लेकिन सत्तापक्ष भी कम नहीं है वह उल्टा विपक्ष पर ही भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगा रहा है।

बहरहाल इस राजनीतिक विषय से काफी दिनों तक सदन की कार्रवाई की बाधित किया जा सकेगा। ऐसे में जीएसटी और अन्य महत्वपूर्ण बिलों के साथ ही ऐसे कई कार्य प्रभावित हो सकते हैं जो कि देश के लिए बेहद आवश्यक हैं। अमीर उद्योगपति विजय माल्या को भारत लाया भी जाएगा, विजय माल्या पर बैंक की रकम चुकाने का दबाव भी बनाया जाएगा। हो सकता है विजय माल्या इस रकम को चुकाने के लिए काफी प्रयास भी करें और कुछ राशि अदा भी कर दें लेकिन विपक्ष द्वारा इस मसले पर हंगामा करने के साथ महत्वपूर्ण मसौदों को प्रभावित किया जा रहा है। इस तरह की राजनीति समझ के परे है।

उल्लेखनीय है कि विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाईन पहले ही आर्थिक संकटों से जूझ चुकी है कंपनी का एक कार्यालय पहले ही विजय माल्या खो चुके हैं। ऐसे में माल्या का विदेश चले जाना और इसके लिए विपक्ष द्वारा समय पर कार्रवाई न करने का आरोप बैंकों पर लगाया जा रहा है। आरोप - प्रत्यारोप की इस राजनीति के बीच देश में संसद में छाने वाला हंगामा चर्चाओं में है। अर्थात् संसद केवल हंगामे के लिए ही जानी जा रही है। 

'लव गडकरी'

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