जारी है किताबों के जरिए जहर भरने की कवायद
जारी है किताबों के जरिए जहर भरने की कवायद
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इस्लामाबाद:  जिसके दिलों में दूरियां हो तथा कथनी और करनी में हमेशा फर्क रखे ऐसे पाकिस्तान से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है कि वह सहयोग  देगा. अब तो वह पाठ्यक्रम की किताब के जरिए जहर भरकर अपने मुल्क की नई पीढ़ी को भी धर्मान्धता के ऐसे अंधे कुँए में धकेलने की कोशिश कर रहा है कि चाह कर भी नई पीढ़ी पड़ोसियों खासकर भारत से सहज सम्बन्ध नहीं रख पाएगी.

यह खुलासा हुआ है अमेरिकी सरकार द्वारा कराए गये एक अध्ययन में. यह अध्ययन पाकिस्तान के एनजीओ पीस एंड एजुकेशन फाउन्डेशन ने कराया है. इसके अनुसार पाकिस्तान की नई पीढ़ी के लिए यह मुश्किल होगा कि वह बहुसंख्यक हिन्दूओं वाले देश भारत से शांतिपूर्ण सम्बन्ध बनाए रख सके.

 गत सप्ताह जारी ‘टीचिंग एनटालरेन्स इन पाकिस्तान रिलिजियस बायस इन पब्लिक स्कूल टेक्स्ट बुक’ नामक रिपोर्ट के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय की आस्थाओं और संस्कृति के बारे में गलत जानकारियां दी गई हैं.जिससे पाक की नई पीढ़ी दूसरे देशों के साथ शांति पूर्ण सम्बन्ध नहीं रख पाएँगे.10 वीं की उर्दू की किताब में लिखा है कि मुस्लिम धर्म के कारण,उनका धर्म और सामाजिक प्रणाली गैर मुस्लिमों से भिन्न है.हिन्दुओं के साथ सहयोग बना पाना असम्भव है.

 अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के अमेरिकी आयोग(यूएससीआईआरएफ) द्वारा प्रायोजित इस अध्ययन में बताया गया कि 4 करोड़ से अधिक बच्चे इन किताबों को पढ़ते हैं.जिसमें अल्पसंख्यकों की धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओं को नकारात्मक तरीके से पेश किया है.रिपोर्ट के अनुसार इस तरह की शिक्षा पाक की नई पीढ़ी के भारत के हिन्दुओं से शांतिपूर्ण भविष्य की संभावनाओं के द्वार बंद कर देगी.

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