Live : RS में बोले PM मोदी : कांग्रेस को है वरदान, वह कभी बदनाम नहीं होती
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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में उपस्थित सांसदों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में जो बात कही गई थी जो सकारात्मक होगी और इसका बहुत प्रभाव पड़ेगा ऐसी आशा थी और सदन चला यह बहुत प्रसन्नता की बात है। उन्होंने कहा कि महामहिम राष्ट्रपति ने सदन को चलने देने की अपील की थी। इसके लिए विपक्ष के लोगों का आभार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माना। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के भाषण का असर गौरव प्रदान करने वाला है। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित करने की बात कही।

उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल अपने आप में सदस्यों की अपनी संपत्ति है और इसमें राष्ट्र के महत्वपूर्ण मसलों पर सरकार को कटघरे में रखा जाता है। मंत्रियों को भी यह समय हर तरह से तैयार रखने के लिए आवश्यक है लेकिन इस समय में कार्रवाई प्रभावित हुई। सदन में जमकर हंगामा हुआ। जिसके कारण कम लोगों को बोलने का अवसर मिला। केवल 6 से 7 सदस्य चर्चा में आए। करीब - करीब 72 घंटे हंगामे में उलझे रहे।

हालांकि यह अच्छी बात है कि मंत्रियों को जवाब देने के लिए देर रात तक तैयारियां करनी पड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि मृत्यु को एक वरदान है कि मृत्यु कभी बदनाम नहीं होता। मृत्यु पर आरोप नहीं लगता। कोई मरता है तो ऐसा होता है कि अकस्मात मरा है। कैसर से मरा है या आयु के कारण मरा है। इसे दोष नहीं दिया जाता। कभी - कभी ऐसा लगता है इसी तरह का वरदान कांग्रेस को भी है। वह इस अर्थ में है कि यदि कांग्रेस की आलोचना की जाए तो भी मीडिया में यह नहीं आता कि कांग्रेस पर हमला हुआ, कांग्रेस पर आरोप लगे। जबकि बसपा, जेडीयू, मायावती के नाम आते हैं कि इनकी आलोचना हुई।

जबकि कांग्रेस का नाम नहीं आता। पीएम ने हल्के अंदाज़ में चुटकी ली जिस पर सदन में हल्का सा शोर होने लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर कहा कि जो निरक्षर हैं अनपढ़ हैं उन्हें महत्व देकर उनके विचार सामने लाए जाऐं कि वे क्या जानते हैं। उन्होंने कहा कि जब वे कन्या शिक्षा को लेकर बेटियों को पढ़ाने को लेकर चर्चा करते थे। केवल चर्चा ही नहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री रहने के दौरान गांव भी जाता था वहां पर सम्मेलन करता था। उन्होंने अपने अनुभवों को लेकर कहा कि करीब 40 से 50 वर्ष की  महिलाऐं पढ़ी हुई नहीं थीं उन्होंने कहा कि हमारी चिंता शिक्षा को लेकर हो।

उन्होंने अपील की कि 30 प्रतिशत अनपढ़ लोगों को चुनाव में मौका दें और टिकट प्रदान करें। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि रेडियो पर एक कार्यक्रम हुआ करता था भूले - बिसरे सुर। इस तरह से आखिर में ये भूले - बिसरे सुर हुए। उन्होंने कहा कि इस सदन में महाजन होते हैं। जिसके कारण हमारा सोचने का कार्य है कि ऐसा कैसे करें कि वह नीचे तक असर करे और तंत्र में बदलाव आए। उन्होंने कहा कि उच्च सदन से देश को मार्गदर्शन मिले ऐसे में दोनों सदनों में तालमेल की जरूरत है। सहयोग और सामंजस्य की भावना से ही कोई कार्य पूर्ण हो पाएगा। उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के शब्दों का उल्लेख करते हुए कहा कि हम ऐसे प्रयास किए जिससे सभी बाकि बचे मसलों पर कार्य किया जा सके। 

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