'वसुधैव कुटुंबकम से लेकर समर्थ भारत तक..', पीएम मोदी का संबोधन सुन गदगद हुए प्रवासी भारतीय
'वसुधैव कुटुंबकम से लेकर समर्थ भारत तक..', पीएम मोदी का संबोधन सुन गदगद हुए प्रवासी भारतीय
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इंदौर:  मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आज दूसरा दिन है। खराब मौसम की वजह से पीएम नरेंद्र मोदी निर्धारित समय से देरी से इंदौर पहुंचे। गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली तथा सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी का स्वागत करने के बाद जब पीएम मोदी ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर के ग्रैंड हॉल में स्टेज पर पहुंचे, तो हॉल मोदी-मोदी के नारों से गूंज उठा।

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि, आप सभी को 2023 की मंगलकामनाएं। 4 वर्षों के बाद यह सम्मेलन एक बार अपने मूल स्वरूप और भव्यता के साथ आयोजित हो रहा है। अपनों से आमने-सामने की मुलाकात, बात का अलग ही आनंद और अलग ही महत्व होता है। पीएम मोदी ने कहा कि, मध्य प्रदेश में मां नर्मदा का जल, जंगल, आदिवासी परंपरा, यहां काफी कुछ है, जो आपकी यात्रा को अविश्वमरणी बनाएगा। उज्जैन में भी भव्य महाकाल लोक का विस्तार हुआ है। आप सभी वहां जाएं और बाबा महाकाल का आशीर्वाद लें।

इंदौर एक दौर है, जो समय से आगे चलता है - पीएम मोदी

इंदौर की प्रशंसा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इंदौर भी अद्भुत है। लोग कहते हैं कि इंदौर एक शहर है, मगर मैं कहता हूं कि इंदौर एक दौर है। ये वो दौर है, जो वक़्त से आगे चलता है, लेकिन फिर भी विरासत को अपने भीतर समेटे रहता है। इंदौर पूरी दुनिया में लाजवाब है। इंदौरी नमकीन का स्वाद, साबुदाने की खिचड़ी, कचौरी, समोसे, शिकंजी,.जिसने भी इसे देखा उसके मुंह का पानी नहीं उतरा। जिसने इन्हें चखा, उसने कहीं दूसरी तरफ मुड़कर नहीं देखा। 56 दुकान तो प्रसिद्ध है ही, सराफा भी महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि लोग इंदौर को स्वच्छता के साथ स्वाद की राजधानी भी कहते हैं। यहां के अनुभव आप खुद भी नहीं भूलेंगे और अपने देश जाकर दूसरे लोगों को भी अपना अनुभव बताना नहीं भूलेंगे।

भारत में वसुधैव कुटुंबकम की भावना- पीएम मोदी 

पीएम मोदी ने कहा कि, 'स्वदेशो भुवनत्रयम्' अर्थात हमारे लिए पूरा संसार ही हमारा स्वदेश है, मनुष्य मात्र ही हमारा बंधु-बांधव है। इसी वैचारिक बुनियाद पर हमारे पूर्वजों ने भारत के सांस्कृतिक विस्तार को आकार दिया था। हमने सदियों पहले वैश्विक व्यापार की असाधारण परंपरा शुरू की थी। हम असीम लगने वाले समंदरों के पार गए। अलग-अलग देशों, अलग-अलग सभ्यताओं के बीच व्यावसायिक संबंध कैसे साझी समृद्धि के रास्ते खोल सकती है, भारत ने करके दिखाया। उन्होंने कहा कि, दुनिया के अलग-अलग देशों में जब भारत के लोग एक कॉमन फैक्टर की तरह दिखते हैं, तो 'वसुधैव कुटुंबकम्' की भावना के साक्षात् दर्शन होते हैं। दुनिया के किसी एक देश में जब भारत के अलग-अलग प्रान्तों और अलग-अलग क्षेत्रों के लोग मिलते हैं, तो 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का सुखद अहसास होता है। पीएम मोदी ने कहा कीदुनिया के अलग-अलग देशों में जब सबसे शांतिप्रिय, लोकतांत्रिक और अनुशासित नागरिकों की चर्चा होती है, तो Mother of Democracy होने का भारतीय गौरव और बढ़ जाता है।

उन्होंने कहा कि हमारे इन प्रवासी भारतीयों के योगदान का विश्व आकलन करता है, तो उसे 'सशक्त और समर्थ भारत' की आवाज़ भी सुनाई देती है। इस वर्ष भारत दुनिया के G-20 समूह की अध्यक्षता भी कर रहा है। भारत इस ज़िम्मेदारी को एक बड़े अवसर के रूप में देख रहा है। हमारे लिए ये दुनिया को भारत के बारे में बताने का अवसर है। ये दुनिया के लिए भारत के अनुभवों से सीखने का अवसर है। पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत के पास सक्षम युवाओं की बड़ी तादाद है। हमारे युवाओं के पास स्किल है और काम करने के लिए जरूरी जज्बा और ईमानदारी भी है।  भारत की ये 'स्किल कैपिटल' दुनिया के विकास का इंजन बन सकती है।

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