मन की बात में PM मोदी ने छात्रों को दिए परीक्षा में सफल होने के मंत्र
मन की बात में PM मोदी ने छात्रों को दिए परीक्षा में सफल होने के मंत्र
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2017 के मन की बात रेडियो प्रसारण कार्यक्रम में देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरूआत विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षाओं से की। उन्होंने कहा कि परीक्षा के दौर में मनोवैज्ञानिक वातावरण हर घर में नज़र आता है। उन्होंने विद्यार्थी सृष्टि के संदेश की बात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि परीक्षा अपने आप में एक खुशी का अवसर होना चाहिए।

वर्ष भर की गई मेहनत को परिणाम में बदलने का अवसर माना जाना चाहिए। परीक्षा को प्लेज़र मानना चाहिए। जो प्लेज़र मानेगा वह पाएगा और जो प्रेशर मानेगा वह पछताएगा। परीक्षा में हमारे भीतर जो सबसे बेस्ट होता है वही बाहर निकलकर आता है। उन्होंने कहा कि परीक्षा कार्यक्रम को उत्सव की तरह लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि परीक्षा के दौरान मुस्कुराऐं। जब आप मुस्कुराते हैं तो आप सहज हो जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपको सब याद आता है

मगर एक शब्द याद नहीं आता मगर जब परीक्षा हाॅल के बाहर निकलते हैं तो वह शब्द याद आ जाता है क्योंकि आप परीक्षा के दौरान प्रेशर में होते हो लेकिन फिर रिलेक्स हो जाते हो। मेमोरी काॅल करने की सबसे बड़ी दवाई रिलेक्स है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब टेंशन होता है तो आपका नाॅलेज आपकी जानकारी पीछे दब जाती है। टेंशन के कारण नाॅलेज नीचे चला जाता है। उन्होंने कहा कि परीक्षा जीवन की कसौटी नहीं है यह तो वर्षभर की पढ़ाई की तैयारी की परीक्षा है।

ऐसे में परीक्षा का जीवन की सफलता से लेना देना है ऐसे बोझ से मुक्त हो जाईए। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि वे वायुसेना में भर्ती न होने से मायूस हो जाते तो क्या देश को एक बड़ा वैज्ञानिक मिलता। उन्होंने रिचा आनंद की बात को लेकर कहा कि जीवन चलता रहता है कि आपने कितना ज्ञान अर्जित किया। जीवन तो एक मिशन है। जीवन में ज्ञान का महत्व है मार्क्स और मार्कशीट अधिक महत्वपूर्ण नहीं है।

उन्होंने कहा कि आप में से कोई भी ऐसा नहीं होगा जो अपने फैमेली डाॅक्टर से पूछता होगा कि आपने कितने नंबर अर्जित किए थे। किसी वकील के पास जाते हैं तो उसकी मार्कशीट देखते हैं क्या। प्रधानमंत्री ने कहा कि अंक के पीछे लगे तो फिर सिलेक्टेड चीजें ही करेंगे। उन्होंने कहा कि बीते हुए कल से आने वाला कल अधिक बेहतर कैसे हो। आने वाला अवसर अधिक बेहतर कैसे हो इसके लिए हमें अनुस्पर्धा करनी होगी।

यदि महान खिलाड़ियों को देखें तो वे अनुस्पर्धा ही करते हैं खुद को ही हर बार पराजित करना यह अनुस्पर्धा है। ऐसे कई सफल लोग हैं उन्होंने अनुस्पर्धा को ही अपनाया। खुद को ही कसौटी पर कसिए। अनुस्पर्धा आत्म मंथन और आत्मचिंतन करती है और आगे बढ़ने का अवसर देती है। भीतर से हमें ऊर्जा मिलती है।

जब हम किसी से प्रतिस्पर्धा करते हैं तो हम उससे बहुत बेहतर हैं, खराब हैं या उससे बराबर के हैं की संभावनाऐं ही मिलती हैं। जब उससे बेहतर होंगे तो आप केवल प्रसन्न होने लगेंगे लेकिन जब खराब महसूस करेंगे तो ईष्र्या होगी और वह आपको खाएगी। यदि उससे बराबर रहेंगे तो आप वहीं रहेंगे मगर अनुस्पर्धा आपको आगे बढ़ाएगी।

उन्होंने  कहा कि परीक्षा मेे अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि तीन बातों पर हम बल दें स्वीकारना, समय देना और सीखाना। उन्होंने कहा कि अपेक्षाऐं राह कठिन करती हैं लेकिन स्वीकार कर हमें नई राहें मिल जाती हैं। उन्होंने कहा कि सभी को यही चाहिए कि दूसरे से नहीं खुद से स्पर्धा करें। एक व्यक्ति का फोन काॅल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपस्थितों को सुनाया इस फोन को लेकर उन्होेंने कहा कि शाॅर्टकट रास्ते नकल करने के लिए प्रेरित करते हैं कभी कभी पास वाले का देखते हैं और हम नुकसान में रहते हैं चीट इज़ टू चीप। इसलिए नकल न करें।

नकल जीवन को विफल बनाने के रास्ते की ओर ले जा रही है। यदि किसी ने नहीं पकड़ा तो जीवनभर आपको पछताना पड़ेगा और अपने बच्चों की आंख में आंख मिलाकर आप नहीं देख पाऐंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपनी पूरी क्रिएटिविटी नकल करने में लगाते हैं लेकिन यदि वही समय आप तैयारी में देते तो शायद आपको नकल की जरूरत नहीं होती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रा मोनिका के सवालों के जवाब भी दिए और कहा कि यदि परीक्षा के दिनों में खेलकूद की बात करूंगा तो आपके टीचर्स और पेरेंट्स नाराज हो जाऐंगे। मगर सर्वांगीण विकास करना है तो किताबों के बाहर जीवन होता है।

उसे भी सीखने का समय होता है। जीवन का यही समय माॅल्डींग का समय होता है इसे ही परवरिश कहते हैं। उन्होंने कहा कि शरीर के लिए जितनी आवश्यक है उतनी निंद, उपयुक्त आराम और शरीर को पर्याप्त फिजिकल एक्टिविटी देना। कुछ समय आप बाहर निकलकर देखें। किचन में जाकर अपनी पसंद का बिस्किट खा लीजिए। आपको महसूस होगा कि आपका काम आसान होता जा रहा है। गहरी सांस से आपको बहुत रिलेक्स मिलता ह। 5 मिनट गहरी सांसें लेने के बाद फिर पढ़ने बैठें। इससे दीमागी अनुभव भी अच्छा होगा।भारतीय कोस्ट गार्ड की 40 वीं वर्षगांठ पर उन्होेंने कोस्ट गार्ड को बधाई दी और 1 फरवरी को आने वाली वसंत पंचमी  का महत्व बताया और लोगों को इसकी  शुभकामनाऐं दीं।

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