लक्ष्य से काफी पीछे है पीएम मोदी की गोल्ड स्कीम
लक्ष्य से काफी पीछे है पीएम मोदी की गोल्ड स्कीम
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नई दिल्ली- गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को सफल बनाने के लिए मोदी सरकार की कवायद ज्यादा सफल होती नहीं दिख रही है.ऐसा इसलिए है क्योंकि नियमों को आसान करने के बाद भी स्कीम के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा नहीं हो पाया है. हालत यह है कि पिछले 9 महीने में हॉलमार्किंग सेंटर,रिफाइनरी केवल 3 ही खुल पाई हैं. जो कि 125 करोड़ आबादी को देखते हुए काफी कम है.

जबकि सरकार की योजना है कि घरों में रखे 20 हजार टन से ज्यादा रखे सोने का इस्तेमाल स्कीम के जरिए ज्यादा से ज्यादा कर अपना इंपोर्ट बिल घटाया जाय.बता दें कि स्कीम से कोई भी व्यक्ति किसी भी कलेक्शन सेंटर पर कम से कम 30 ग्राम गोल्ड देकर जुड़ सकता है .

जिसे गोल्ड बुलियन या ज्वैलरी दोनों रुप में जमाकिया जा सकेगा. जो ग्राहक स्कीम से जुड़ेगा, उसकी ज्वैलरी औऱ दूसरे रूप में रखे गोल्ड को पिघलाकर सरकार उसे दोबारा बाजार में उपयोग के लिए पहुंचाएगीइसके बदले में कलेक्शन सेंटर आपको गोल्ड की शुद्धता के आधार पर सर्टिफिकेट देगा. जिसे दिखाकर आप बैंक में गोल्ड सेविंग अकाउंट खोल सकेंगे जिस पर आपको 0.5 फीसदी से लेकर 2.5 फीसदी तक ब्याज मिलेगा.

वित्त मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक करीब 3000 किलोग्राम सोना जमा किया जा चुका है. जिसमें से बड़ी मात्रा में मंदिर ट्रस्ट ने पैसा जमा किया है. वित्त मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार अभी भी स्कीम आम लोगों में ज्यादा लोकप्रिय नहीं हुई है. इसकी वजह इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और स्कीम के बारे में लोगों की जानकारी नहीं होना है. इसे देखते हुए कलेक्शन सेंटर को बढ़ाया जाएगा. अभी तक देश भर में कुल 48 कलेक्शन एंड प्योरिटी वेरिफिकेशन सेंटर हैं.पिछले 9 महीने में एक भी सेंटर नहीं खुल पाया है.

सोमनाथ ट्रस्ट सरकार को देगा सोना

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