नई दिल्ली: तमिलनाडु के तंजावुर में स्कूल में पढ़ने वाली नाबालिग लड़की के जहर खाकर आत्महत्या करने के मामले में आज सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका के माध्यम से लावण्या की ख़ुदकुशी मूल कारणों की जांच कराने की मांग की गई है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत से कहा गया है कि वह केंद्र सरकार को फ़ौरन एक सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने का निर्देश दे, क्योंकि धोखे और जोर-जबरदस्ती से धर्म परिवर्तन कराना संविधान की धारा 14, 21, 25 का उल्लंघन है. बता दें कि मद्रास उच्च न्यायालय ने पहले ही लावण्या मामले की जांच CBI से कराने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि 17 वर्षीय लावण्या ने हॉस्टल की वार्डन से तंग आकर जहर खा लिया था और उसकी 19 जनवरी को मौत हो गई थी. आत्महत्या करने से कुछ दिन पहले ही छात्रा ने एक वीडियो में बताया था कि हॉस्टल में उसे लगातार डांटा जाता था और उससे हॉस्टल के सभी कमरों को साफ करने के लिए भी कहा जाता था. यही नहीं छात्रा ने यह भी कहा था कि उसे लगातार ईसाई धर्म अपनाने के लिए भी विवश किया गया.
स्कूली छात्रा की ख़ुदकुशी का मामला लगातार चर्चाओं में बना हुआ है. इस पूरे मामले से नाराज छात्रों ने दिल्ली के तमिलनाडु भवन के बाहर उग्र प्रदर्शन भी किया था. इस पूरे मामले में स्टालिन सरकार की चुप्पी भी कई सवाल खड़े कर रही है. लावण्या के परिजन पहले की कह चुके हैं कि उन्हें तमिलनाडु पुलिस की जांच पर कोई विश्वास नहीं है.
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