MP से सामने आई अस्पताल की लापरवाही की तस्वीरें! ड्रिप लगी बच्ची को गोद में लेकर कलेक्टर के पास पहुंचा पिता
MP से सामने आई अस्पताल की लापरवाही की तस्वीरें! ड्रिप लगी बच्ची को गोद में लेकर कलेक्टर के पास पहुंचा पिता
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बैतूल: मध्य प्रदेश के बैतूल में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल स्थिति में हैं। इसकी बानगी तब नजर आई, जब एक व्यक्ति अपनी 6 वर्षीय बीमार बच्ची को ड्रिप लगी हालत में गोद में उठाकर जिलाधिकारी के सामने ले गया। व्यक्ति ने जिलाधिकारी से कहा कि उसकी बेटी तड़प रही है और उपचार करने वाले चिकित्सक कल से अब तक नहीं आए हैं। जिलाधिकारी ने तत्काल डॉक्टर को फोन लगाकर बच्ची का अच्छे तरीके से उपचार करने के निर्देश दिए। स्थानीय लोगों ने बताया कि जिला चिकित्सालय की हालत बद से बदतर है। बृहस्पतिवार को बीमार बेटी, जिसके हाथ में ड्रिप लगी है उसे मजबूर पिता गोद में उठाकर बैतूल कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस के चेंबर में पहुंच गया।

बीमार बेटी गोद में थी तथा पीछे एक बच्चा बॉटल पकड़े था तथा मां उनके बगल में खड़ी थी। इस दृश्य को देखकर लोगों की आंखे भर आईं। सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है। दरअसल, आजाद वार्ड में रहने वाले गुफरान फारुकी की 6 वर्षीय बेटी मिफ्ता फारुखी को पेट में दर्द था। उसे बुधवार की रात जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने बच्ची की जांच की तथा परिजनों को बताया कि उसे अपेंडिक्स का दर्द है। बच्ची को प्राथमिक उपचार दिया गया। इसके साथ ही घरवालों को बताया गया कि उसका उपचार जिला चिकित्सालय के सर्जन डॉ। रंजीत राठौर करेंगे। पिता गुफरान फारूकी का आरोप है बुधवार रात से बृहस्पतिवार की दोपहर तक डॉक्टर रंजीत राठौर उनकी बेटी को देखने तक नहीं आए।  

तत्पश्चात, उन्होंने डॉ। रंजीत राठौर को फोन लगाया, तो उन्होंने साफ बोल दिया कि शाम 5 बजे के बाद आएंगे। साथ ही यह भी कहा कि जिस वार्ड में बच्ची भर्ती है, वहां नहीं आएंगे। बच्ची को दूसरे वार्ड में लेकर आना पड़ेगा। डॉक्टर के जवाब से नाराज घरवाले बीमार बच्ची को कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस के सामने ले गए। कलेक्टर ने परिजनों से कहा कि इसकी शिकायत फोन पर भी कर सकते थे। बच्ची को ऐसे लाना ठीक नहीं है। तत्पश्चात, कलेक्टर ने जिला चिकित्सालय के डॉक्टर को फोन करके बोला इस बच्ची का उपचार अच्छे तरीके से किया जाए। इसके अतिरिक्त उन्होंने बच्ची के उपचार की मॉनिटरिंग का कार्य अपने स्टेनो को सौंपा। इस सब के बाद भी जब बच्ची को फिर से जिला चिकित्सालय लेकर गए, तो लापरवाही का आलम देखने को मिला। बच्ची के उपचार की जिम्मेदारी जिस चिकित्सक को सौंपी गई थी, उस डॉक्टर के उलटे जवाब से घरवाले परेशान हो गए। बाद में उन्हें बच्ची को निजी चिकित्सालय में भर्ती कराना पड़ा।

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