सोशल मीडिया के चंगुल में फंसते जा रहे है लोग
सोशल मीडिया के चंगुल में फंसते जा रहे है लोग
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तेज़ी से बदलती दुनिया में सोशल मीडिया का जितना सदुपयोग नहीं होता है, उससे ज़ायदा दुरूपयोग होता है। 
आज का युग सोशल मीडिया का युग है। आज कोई ऐसा नहीं है जो सोशल मीडिया से अनजान हो। सोशल मीडिया जीवन का अभिन्न हिस्सा है। सुबह की शुरुआत और दिन का अंत सोशल मीडिया का आखिरी अपडेट देखकर ही होता है। दुनिया में बहुत से ऐसे लोग है जो की सोशल मीडिया के जरिए से दोस्त बने है। लेकिन तेज़ी से बदलती दुनिया में सोशल मीडिया का जितना सदुपयोग नहीं होता है, उससे ज्यादा दुरूपयोग होता है। 

सोशल मीडिया पर बढ़ता क्राइम-  

कही न कही यह देश के लिए चिंता का विषय है। 2017 के आंकड़ों के अनुसार उस वक्त करीब 70 करोड़ लोगो के पास फ़ोन थे। इनमे से करीब 25 करोड़ लोगो के पास स्मार्ट फ़ोन्स थे। जाहिर सी बात है अब यह संख्या अधिक हो गयी है। इतना ही नहीं 36.5 करोड़ यूजर्स व्हाट्सप्प और फेसबुक पर एक्टिव थे, और आज की बात करे तो सभी आयु वर्ग के लोग सोशल मीडिया पर एक्टिव है। जहां सोशल मीडिया के जितने लाभ है उतने ही नुकसान भी है। जहा लोग इस प्लेटफार्म का दुरूपयोग कर के मासूम लोगो को फ़साते हुए नज़र आते है। आप को बता दे की ऑनलाइन फ्रॉड, ठगी, धोखा धड़ी, सोशल मीडिया पर फेक आईडी बना कर ठगी करना और लोगो को बेवकूफ बनाकर ठगा जा रहा है। साइबर क्राइम के चंगुल में फसने से कोई नहीं बच सका है। सेलिब्रिटी से लेकर नेताओ तक साइबर क्राइम की ठगी का शिकार हो चुके है। लेकिन जब पन्ना पलट कर देखा जाएं नेताओ द्वारा जनता को रिझाने का सोशल मीडिया ही सबसे बड़ा प्लेटफार्म है। 

सोशल मीडिया के जरिये कैसे होती है ठगी- 

रोमांस स्कैम्स-

वर्चुअल चैट्स व वीडियो कॉलिंग के जरिए हुई मुलाकातों ने अपराधियों के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं. “पिछले 4 सालों में कुछ सबसे बड़े मामलों में रोमांस स्कैम शामिल हैं. दुनिया में अकेलेपन, अनिश्चितता और घबराहट ने लोगों को बहुत कमजोर कर दिया है. एक साल में 40 फीसदी की वृद्धि हुई है।   

किस आयु वर्ग को किया जा रहा टारगेट-

इस मामले में दर्ज हुई शिकायतों पर गौर किया जाए तो ठगों ने अपना सबसे बड़ा निशाना वरिष्ठ नागरिकों को बनाया है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि खुद को टेक सैवी समझने वाले युवा इससे बच गए हैं. एक जानकारी के अनुसार, युवाओं को लगता है कि वह प्रौद्योगिकी के बीच ही बड़े हुए हैं तो उन्हें सब कुछ पता है लेकिन ऐसी जालसाजी में फंसने वाले लोगों में से एक बड़ा हिस्सा युवाओं का है। 

लिंक के माध्यम से हो रहा फ्रॉड -

ऑनलाइन लॉटरी, कैसीनो, गेमिंग, शॉपिंग या फ्री डाउनलोड का लालच देने वाली वेबसाइट्स में अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड्स के डिटेल्स को कतई न डालें। इसके अलावा लुभावने मैसेज के जरिए भेजी जाने वाली प्रमोशनल लिंक पर डायरेक्ट क्लिक करने से बचें।ये लिंक आमतौर पर फिशिंग गिरोहों द्वारा त्योहारों के दौरान भेजी जाती हैं। इन लिंक्स के जरिए उपभोक्ता के अकाउंट नंबर और पासवर्ड हैक कर लिए जाते हैं। ईमेल अकाउंट का पासवर्ड तो तुरंत हैक हो जाता है। फिर इसका दुरुपयोग आसानी से किया जा सकता है। आजकल हर प्रोडक्ट और सर्विस के लिए कस्टमर सपोर्ट उपलब्ध हैं। ऐसे में कोई दिक्कत होने पर लोग तत्काल कस्टमर सपोर्ट का नंबर खोजने लगते हैं। साइबर अपराधियों ने पहले से ही इंटरनेट पर कस्टमर सपोर्ट के नाम खुद का नंबर डाल रखा है। लोग उसे ही कस्टमर सपोर्ट नंबर समझ कर कॉल कर देते हैं।बाद में फर्जी कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव के तौर पर अपराधी उनसे उनकी पर्सनल डिटेल लेकर फ्रॉड को अंजाम देते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल पेमेंट एप्लिकेशन जैसे- गूगल पे, फोन पे, पेटीएम के सबसे ज्यादा फर्जी कस्टमर सपोर्ट नंबर इंटरनेट पर डाले गए हैं, जिससे कस्टमर खुद साइबर अपराधियों तक पहुंच रहे हैं।

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