Editor Desk: 'पंडित जी' देश को फिर से आपकी जरूरत है...
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हमारे प्यारे 
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल 

आजादी के पहले और बाद में देश के हालात सुधरे हैं। लेकिन आमजन का हर तबका आज भी किसी न किसी तरह की प्रताड़ना का शिकार है। आजादी के पहले और आज तक आमजन का निरंतर शोषण होते आया है। मुझे नहीं पता मैं ये ख़त क्यों लिख रहा हूँ? मेरे पास इस खत के लिए कोई मुकम्मल पता भी तो नहीं है। मैं ऐसे सैकडों ख़त दफ्तर में बैठे हैं उन लोगों को भेज चुका हूँ, जिन लोगो ने देश को चलाने का ठेका लिया है, लेकिन अफ़सोस मुझे मेरे ख़त ना कोई जवाब मिला न ही कोई परिणाम।

आज आपको शहीद हुए पुरे 90 वर्ष हो चुके हैं मुझे नहीं पता आप इस वक्त दुनिया के किस कोने में हो, लेकिन लगता है आप कहीं आसपास हो, अगर मेरे इस ख़त को पढ़ सको तो पढ़िएगा। आज जहाँ से मैं ये ख़त लिख रहा हूँ, इसे 21 वीं सदी का भारत कहते है, कुछ लोग इसे आधुनिक भारत भी कहते है, लेकिन भारत के आगे लिखा आधुनिक आज भी काल्पनिक ही है। न जाने क्यों?  मैं एक सच्ची उम्मीद दिल में रख कर बैठा हूँ कि आप मेरा खत जरुर पढ़ेंगे। आपने और आपके बाकी साथियों ने देश के लिए इतना कुछ किया उसके बाद भी आप हंसते हंसते फांसी पर चढ़ गए वो भी इन जैसे लोगों के लिए।

मुझे पता है आप खत में आगे कुछ अच्छा खोजने की कोशिश करेंगे लेकिन मुझे दुख है कि इस खत में कोई ऐसी अच्छी खबर नहीं है जो आपको दे सकूँ। बताते हुए शर्म महसूस हो रही है, मेरे पास शब्द नहीं है, मैं अपनी संवेदना कैसे व्यक्त करू? लेकिन मैं आपसे अशफाक उल्ला खां से, चंद्रशखेर आजाद ,भगतसिंह और सारे क्रांतिकारियों से पुरे देश की ओर से माफ़ी मांगता हूँ कि हम आपको आपके सपनों का भारत नहीं दे पाए। 

आज एक 21वी सदी का युवा होने के नाते मैं खुद अपनी गलती स्वीकार करता हूँ कि आपने अंग्रेजों से छीन कर जो भारत हमें सौंपा था उसके हालात हमने बद से बदतर कर दिए. मैं सभी की तरफ से माफी मांगते हुए अपनी गलती स्वीकार करता हूँ कि हमने आजादी के इतने सालों बाद भी धर्म ओर मज़हब के नाम से खून की नालियां बहाई हैं। हालात और भी बदतर है, लेकिन मैं किस मुंह से आपको बताऊं आप क्या महसूस करेंगे क्या आप हकीकत सुनकर चैन से रह पाएंगे। 

मुझे याद है आपके भाई अशफाक उल्ला खां की पंक्तियाँ जिसमें उन्होंने कहा था  "रख दे कोई जरा सी ख़ाक-ए-वतन कफन में"  लेकिन हमने आज वतन की ख़ाक को भी लाल कर दिया तो हम कौन सी ख़ाक को आप के कफ़न में रखें? जिस युवा को आपने  देश के लिए मर मिटने का संकल्प दिलाया, वही युवा अपने ही देश में जगह-जगह देश की बेटियों के साथ बर्बरता से बलात्कार कर रहा है। जिस धन को आपने अंग्रेजो से लूट कर देश को आजाद करने के लिए लगाया आज  देश के कुछ लोग उसी धन को गरीबों से लूटकर वापस विदेशी खजाना भरने में लगा रहे हैं। ऐसी और हकीकत है, ऐसे और भी कड़वे सच है, जो आपसे बांटना चाहता हूँ, सिर्फ इसलिए कि आपके जाने के बाद और कोई है नहीं जो देश के हालातों को आप से बेहतर सोच सके और उनका हल ढूंढ सकें।  

आपके जाने के कुछ सालों बाद हमें अंग्रेजों से तो आजादी मिल गई गई लेकिन वो खुशी भी कम समय के लिए ही थी. कुछ समय बाद ही आपकी और अशफाक उल्ला खां की दोस्ती को भुला कर हम ने देश को दो टुकडों में बांट दिया, एक टुकड़ा भारत बन गया और एक पाकिस्तान. कुछ लोग साल के 2 दिन जरुर आपकी तस्वीरों पर मालाएं चढ़ाकर आपको याद कर लेते हैं, लेकिन मैं यह स्वीकार करता हूँ कि यह याद करना नहीं बल्कि एक ढोंग है, जो हम लोकप्रियता पाने के लिए करते है. आपके विचारों पर काम करके आजाद भारत का जो सपना आपने देश को दिखाया, उसको भी हम पूरी तरह भूल चुके है। 

पंडित जी आज आपकी बहुत याद आ रही है. देश को आपकी एक कमी सी महसूस हो रही है. लगता है आप फिर से इस जमीं पर कदम रखेंगे और हम सबको इन समस्याओं से दूर करेंगे. हम सब बेहद दुखी है. इन नेताओं के गरीब अपनी हक़ की भीख मांगते हुए मर जाता है लेकिन कोई सुनता नहीं. आप एक बार और सही, आ जाइए ना...

आपके इंतजार में 
आपका "भारत" 

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