भारत और पाकिस्तान के बीच आयोजित होने वाली विदेश सचिव स्तरीय वार्ता टलने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर तरह - तरह की बातें हो रही हैं। हालांकि इस बार पाकिस्तान के रूख में आश्चर्यजनक बदलाव देखने को मिला है। लगता है भारत की विदेश नीति काम कर गई है। जिसके कारण पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव का असर साफतौर पर नज़र आ रहा है। पाकिस्तान द्वारा पठानकोट हमले को लेकर जांच दल का गठन करने के बाद अपने देश में संचालित उन मदरसों को प्रतिबंधित कर दिया गया है जो जैश - ए - मोहम्मद से संबंध रखते हैं।
हालांकि आतंकी मसूद के पकड़े जाने को लेकर संशय बना हुआ है लेकिन अपनी बात पर अडि़ग और आतंकरोधी कार्रवाई से कन्नी काटने वाले पाकिस्तान ने इस बार कुछ कार्रवाई तो की। हालांकि पाकिस्तान की इतनी कार्रवाई से भारत संतुष्ट होने वाला नहीं है मगर आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के रूख में बदलाव दिखा रहा है कि इस बार उसने भारत की बात गंभीरता से सुनी है।
वैसे आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान में कम उथल पुथल नहीं है। एक और सेना के उच्चस्थ अधिकारी शरीफ सरकार के तख्तापलट की कोशिशें करते रहे हैं वहीं नवाज़ शरीफ सरकार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, सेना का दबाव झेलती रही है। मगर इस बार पाकिस्तान की सरकार को अंतर्राष्ट्रीय दबाव झेलना पड़ा है। दरअसल आईएसआईएस की आहट और तालिबान समर्थित आतंकियों के पाकिस्तान में धमाके करने के बाद पाकिस्तान पर आतंक पर लगाम लगाने का दबाव बढ़ा है। पाकिस्तान की सीमाऐं भी अस्थिर हैं।
हालांकि उसे भारत से किसी तरह का खतरा नहीं है लेकिन अब जो स्थिति बन रही है उसमें वह ऊहापोह की स्थिति में है कि वह भारत के खिलाफ इस्लामिक आतंकवाद को प्रश्रय दे या फिर आतंकरोधी कार्रवाई में विश्व का साथ दे। यदि पाकिस्तान को विकास और सुरक्षा में मजबूती चाहिए तो उसे अमेरिकी और भारतीय दबाव के आगे झुकना होगा। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि पाकिस्तान पठानकोट हमले को लेकर आगे भी कड़ी कार्रवाई जारी रखेगा।