प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा हो पढ़ाई का माध्यम
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नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेताओं द्वारा मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को खारिज कर दिया है लेकिन इन नेताओं ने कुछ सुझाव दिए हैं। ये सुझाव उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भेंट की। दरअसल शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के माध्यम से आरएसएस के वरिष्ठ सदस्यों ने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के सामने अपनी बात रखी। न्यास के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली सरकार की नीति और अपने सुझाव दोनों ही साथ रखे।

इस दौरान इन सदस्यों ने कहा कि मंत्रालय को शिक्षा संबंधी सुझाव देने के लिए आयोग का गठन हो। यह आयोग नाम से आयोन हो बल्कि एक समिति हो। जिसे सलाहकार समिति के नाम पर जाना जाए और इसमें शिक्षा जगत से जुड़े लोग शामिल हों। इस मामले में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को आरएसएस सदस्यों ने लिखित में अपने सुझाव और एक ड्राफ्ट प्रस्तुत किया।

सदस्यों ने पर्यावरण अध्ययन को लेकर चर्चा की और कहा कि भारतीय विचार के अनुसार इसका पाठ्यक्रम बनाया जाना चाहिए। नेताओं ने वोकेशनल एजुकेशन अनिवार्य करने का विरोध किया और कहा कि कमजोर विद्यार्थी के लिए वोकेशनल एजुकेशन देना अच्छा नहीं है। इसे लागू करने के लिए उद्योग और व्यससाय को भी शामिल किया जाए साथ ही सभी तरह की श्रेणी के विद्यार्थी इसमें शामिल किए जाए। नेताओं ने प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा का माध्यम रखे जाने को अनिवार्य कहा है। साथ ही बीएड और एमएड को दो वर्ष का करने को लेकर भी न्यास के सदस्यों ने अपने सुझाव दिए।

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