Reliance Jio के खिलाफ खड़ी हुई कंपनिया, बात पहुंची प्रधानमंत्री कार्यालय तक
Reliance Jio के खिलाफ खड़ी हुई कंपनिया, बात पहुंची प्रधानमंत्री कार्यालय तक
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हाल ही में रिलायंस जियो द्वारा दी जा रही इन्टरनेट सेवा के साथ अन्य सेवाओ को भी फ्री किये जाने तथा सस्ते प्लान को लेकर भारतीय टेलीकॉम कंपनियों में छिड़ी जंग अब और तेज हो गयी है. यही नही अब यह बात प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी पहुँच गयी है. रिलायंस जियो के लुभावने ऑफर से अन्य कंपनियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते वे रिलायंस जियो का जमकर विरोध कर रही है.

रिलायंस जियो की घोषणा के खिलाफ सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीआेएआई) ने सरकार को एक और कड़ा पत्र लिखा है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वे इस नए सेेवा प्रदाता की फ्री-काल की बाढ को संभालने की स्थिति में नहीं है. वही एयरटेल ने भी प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर कहा है कि जियो की योजना प्रतिस्पर्धा रोधक हैं, और एेसे इंटरकनेक्ट आग्रहों को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं हैं. 

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीआेएआई) ने अपने लिखे पत्र में पीएमआे से उचित प्रतिस्पर्धा को बहाल करने के लिए हस्तक्षेप करने कि मांग की है. वही रिलायंस जियो के सूत्रों ने कहा कि उसका विरोध कर रही कंपनियां पर जियो या किसी नेटवर्क से आने वाली काल को ‘ इंटरकनेक्टिविटी ’ यानी मार्ग देने की कानूनी बाध्यता है. किन्तु उन्होंने इसका उलंघन किया है.

आपको बता दे कि रिलायंस जियो ने अपनी जियो सेवा की शुरुआत 5 सितम्बर से की है. सेवाओं के परीक्षण के दौरान भारती एयरटेल और वोडाफोन जैसे आपरेटरों ने पर्याप्त इंटरकनेक्शन पोर्ट उपलब्ध नहीं कराया था. वही रिलायंस प्रमुख मुकेश अम्बानी ने अपने कार्यक्रम के दौरान भी बताया था कि पुराने जीएसएम आपरेटरों के इंटरकनेक्टिविटी न देने से एक सप्ताह में उनके नेटवर्क की 5 करोड़ से अधिक काल ड्राप हो गयी थीं.

देश में टेलीकॉम कंपनियों के बिच में छिड़ी इस बहस का अभी तक कोई संज्ञान नही आया है, किन्तु जल्दी ही कुछ परिवर्तन हो सकता है. जिसके चलते यह तकरार जारी है.

इतना अंतर है Reliance Jio और दूसरी कंपनियों के प्लान्स में

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