डिजिटल इंडिया वीक शुरू-इंडिया ही डिजिटल होगा या भारत भी
डिजिटल इंडिया वीक शुरू-इंडिया ही डिजिटल होगा या भारत भी
Share:

मोदीजी का 'साल एक शुरुआत अनेक' वैसे तो ख़त्म हो गया है; लेकिन उनके दूसरे साल शुरुआत भी कई 'शुरुआतों' के साथ हो रही है | पहले बीमा क्षेत्र की तीन योजनाएं, फिर शहरी विकास एवं आवास सम्बन्धी तीन योजनाएं शुरू हुई और अब 'डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट' के तहत डिजिटल इंडिया वीक शुरू हुआ है; यानि 'शुरुआत अनेक' जारी है | बड़े बदलावों के लिए ऐसा होना स्वाभाविक और जरुरी भी है | हालाँकि, यह जानना और समझना भी जरुरी है कि दरअसल यह सब इतना अधिक बड़ा बदलाव भी नहीं है; जितना कि पीएम के भाषणों, सरकारी विज्ञापनों व मीडिया रिपोर्ट्स से नजर आ रहा है |

गहराई से देखा-समझा जाये तो यूपीए सरकार भी इन्हीं दिशाओं में आगे बढ़ रही थी | बस, घोटालों ने उसकी क्षमता, उत्साह और गति पर अंकुश लगा दिया था और वह घिसटती सी चल रही थी | जबकि मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार में नया आत्म-विश्वास, नया उत्साह और गतिशीलता है; इसीलिए सब कुछ बहुत बदला हुआ नजर आ रहा है | यह होना बहुत जरुरी भी था | कार्यक्रम भलेही बहुत कुछ वे ही हैं; जो कि टॉप ब्यूरोक्रेट्स और सलाहकारों ने मनमोहन सरकार को भी बता रखे थे | पर नामों सहित बहुत कुछ बदला भी है; सबसे अधिक तो अपने पर और अपनी नीतियों पर विश्वास के परिमाण में बदलाव आ गया है | खैर, यह होना और इसी तरह से होना, देश के लिए तो बहुत अच्छा है |

बदलाव पर इतनी बात यहाँ इसलिए भी कर ली; क्योंकि वाकई डिजिटल इंडिया बहुत कुछ बदल देगा | इंटरनेट की सुविधाओं का जाल अब कम्प्यूटर्स व मोबाइल्स के जरिये देश के कोने-कोने में फ़ैल जायेगा | सरकारी सेवाओं, शिक्षा, चिकित्सा से लेकर खेती-बाड़ी की बातें भी अब ऑप्टिकल फाइबर्स के जरिये दौड़ने लगेगी | इसलिए उँगलियों के इशारों पर बहुत कुछ होने लगेगा | 


वैसे, यह सब ऐसे ही और कल-परसों में नहीं होने वाला है; पर हाँ, पहले की तुलना में अब कुछ तेज गति से होगा | चूँकि, इसके लिए सरकार ने 1.13 लाख करोड़ लगाने का तय कर रखा है और शुभारम्भ कार्यक्रम में जो बड़े उद्योगपति मंच पर आये; उनकी घोषणाओं से ज्ञात हुए केवल उनके निवेश का जोड़ 4.5 लाख करोड़ का होता हैं | स्पष्ट है कि यह ऐसे अभियान जैसी योजना है कि जिसमें उद्योगपतियों को भी खूब कमाई के अवसर दिख रहे हैं और वे बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाले हैं | 600 शहरों को प्रमुखता से और 250000 गांवों तक को भी ऑप्टिकल फाइबर से जोड़कर डिजिटल बनाना है; तो समझिए कि कितना तगड़ा काम है और कितनी मोटी कमाई ?

हाँ, यह सब बहुत सुन्दर-सुहाना लग रहा है, है भी; किन्तु इस आगामी बड़ी 'डिजिटल क्रांति' का एक दूसरा पहलु भी है; जिसे नजर-अंदाज नहीं किया जाना चाहिए | इस मुद्दे का उल्लेख स्वयं नरेंद्र मोदी ने शुभारम्भ के भाषण में एक अलग ढंग से किया | उन्होंने देश में पहले से मौजूद दो बड़ी खाइयों का जिक्र किया; एक तो 'अमीर -गरीब की खाई' दूसरी 'शहर व गांवों की खाई' और फिर कहा कि ऐसा इंडिया के डिजिटल बनने के बारे में नहीं होना चाहिए | पर सोचने वाली बात यही है कि क्या इससे बचा जा सकता है ? जब स्वयं डिजिटल इंडिया के योजनाकारों ने ही माना है कि इससे अधिकतम 500 मिलियन (50 करोड़) लोग जुड़ेंगे; तो इसका अर्थ है कि 125 करोड़ में से 75 करोड़ लोग नहीं जुड़ेंगे | यह बिलकुल स्वाभाविक है; जो लोग सेनगुप्ता कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार दो वक्त का खाना मुश्किल से जुटाते हैं या बच्चों को भी, खासकर लड़कियों को स्कुल भेजने के बारे में सोचते भी नहीं हैं; उन्हें तो डिजिटल होने में (बड़ी) देर लगना ही है | हाँ, माना कि वे भी कुछ लम्बे कालांतर में 20 - 30 साल में इस 'तकनिकी जाल' से जुड़ेंगे; लेकिन तब तक देश में लोगों के बीच एक और खाई बनना तय है | क्योंकि फ़िलहाल इंडिया ही तेजी से डिजिटल होगा; हमारा एक भारत भी है, जिसे डिजिटल होने में बहुत समय लगेगा |

वैसे, यह बात यहाँ उठाने का उद्देश्य, इस 'डिजिटल इंडिया' अभियान का विरोध करना या मात्र आलोचना करना नहीं है; बस इसके साथ जुडी हुई इस कटु सच्चाई की और ध्यान दिलाना ही है | असल में 'इंडिया' तो काफी आगे चला गया है और भी तेजी से आगे भागने के लिए तैयार भी है | लेकिन 'भारत' बहुत पीछे रह गया है; डिजिटल इंडिया की दौड़ में वह और भी अधिक पीछे हो जाने वाला है | बेहतर होता कि इस एक और खाई के बनने का इन्तजाम होने से पहले, जो पहले से मौजूद दो बड़ी खाइयां है; वे कुछ कम हो जाती | जबकि हम जिन नीतियों पर चल रहे हैं उससे फ़िलहाल तो अमीर व गरीब की खाई और शहर व गांव की खाई दोनों ही और भी बढ़ने वाली है | अब यह डिजिटल सुविधाओं की खाई उन्हें कुछ वर्षों तक तो और भी बढ़ाने में सहयोगी होगी | हालाँकि, यह इतनी बुरी भी नहीं है, क्योंकि कालांतर में जब 'भारत' के लोग भी किसी तरह इस क्रांति के लाभ लेने लगेंगे तो यह क्रांति असमानताओं को कम करने में भी सहायक बनेगी | इसलिए, किसी भी गति से हो, भले ही कुछ तनावों के साथ हो मगर अब वक्त की मांग है कि हमें डिजिटल होना ही होगा| यह रोका नहीं जा सकता है| बस देखना यह है की मोदी सरकार 'इंडिया' के साथ 'भारत' तक भी इसके लाभ किस तरह पहुंचा पाती है ?

हरिप्रकाश 'विसंत'

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -