इस गणेश चतुर्थी पर देश का आधिकारिक नाम 'INDIA' से बदलकर हो जाएगा 'भारत' ?
इस गणेश चतुर्थी पर देश का आधिकारिक नाम 'INDIA' से बदलकर हो जाएगा 'भारत' ?
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नई दिल्ली: देश का नाम INDIA से बदलकर भारत करने की मांग बीते कुछ समय से तेज होने लगी है। इसको लेकर भाजपा के सांसद नरेश बंसल ने संसद के मानसून सत्र में विशेष उल्लेख के जरिए यह मांग की थी और 'इंडिया' नाम को औपनिवेशिक प्रतीक और दासता की बेड़ी करार देते हुए इसे केवल 'भारत' करने की मांग की थी। वहीं, हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने भी देशवासियों से अपील की थी कि, उन्हें देश को INDIA की जगह भारत कहने की आदत डालनी चाहिए। इस बीच सूत्रों के हवाले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। उसमे जानकारी दी गई है कि, इस साल गणेश चतुर्थी पर देश का नाम आधिकारिक तौर पर INDIA से बदलकर 'भारत' कर दिया जाएगा। हालाँकि, इस बारे में अभी कोई आधिकारिक जानकारी तो सामने नहीं आई है, लेकिन अपुष्ट सूत्रों द्वारा इसकी जानकारी दी गई है।

बता दें कि, केंद्र की मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच पाँच दिनों के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जिसकी पुष्टि संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने की है। लेकिन, संसद के इस विशेष सत्र में एजेंडा क्या होगा, इस बारे में सरकार ने कुछ नहीं बताया है। सूत्रों का कहना है कि, इस संसद सत्र के दौरान ही देश का नाम INDIA से बदलकर आधिकारिक रूप से भारत करने का ऐलान किया जा सकता है। हालाँकि, इसके लिए संविधान में संशोधन करने की आवश्यकता पड़ेगी। यदि ऐसा होता है तो सरकार को इसके लिए संसद में संख्याबल का समर्थन जुटाना पड़ेगा। गणेश चतुर्थी पर देश का नाम बदलने की बात के पीछे एक कारण ये भी माना जा रहा है क्योंकि, इस साल गणेशोत्सव 19 सितंबर 2023 से प्रारंभ हो रहा है, और इसी बीच संसद में विशेष सत्र भी चल रहा होगा। ऐसे में सूत्रों का कहना है कि, इसी दौरान सरकार INDIA हटाकर देश का नाम आधिकारिक तौर पर 'भारत' कर सकती है। बता दें कि, प्राचीन काल से देश का नाम भारत या भारतवर्ष ही रहा है, हिंदुस्तान और INDIA नाम हमें विदेशियों द्वारा दिए गए हैं। हिंदुस्तान शब्द तो संविधान में नहीं है, लेकिन 'इंडिया देट इज़ भारत' जरूर लिखा हुआ है। यदि नाम बदला जाता है, तो इसके लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी और फिर यह केवल भारत ही रह जाएगा, जो हमारे देश का प्राचीन नाम भी है। हालाँकि, इस बारे में अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सूत्र इसकी संभावना जता रहे हैं। इस बात की संभावना इसलिए भी जोर पकड़ रही है कि, मोदी सरकार जिस तरह से औपनिवेशिक काल की निशानियों को हटा रही है, जैसे जॉर्ज पंचम की प्रतिमा हटाकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा लगाना, भारतीय नौसेना के ध्वज से अंग्रेज़ों का यूनियन जैक हटाकर, छत्रपति शिवाजी का चिन्ह लगाना। इनको देखते हुए हो सकता है कि, सरकार संसद के विशेष सत्र में देश का नाम बदलने के लिए भी कदम उठा ले। 

बता दे कि इंडिया शब्द का इस्तेमाल भारत की आजादी के बाद से अधिक किया जाने लगा। अंग्रेजों को भारत या हिंदुस्तान कहने में कठिनाई होती थी। अतः उन्होंने भारत को इंडिया कहना शुरु किया। वे लिखते समय भी भारत को इंडिया ही लिखते थे। इतिहास उठाकर देखा जाए तो आजादी के समय कागजी आदान-प्रदान में भी इंडिया ही शब्द का इस्तेमाल किया गया था।

हमारे देश को कैसे मिला 'भारत'' नाम :-

बता दें कि, "भारत" नाम समृद्ध इतिहास, विविध संस्कृति और प्राचीन सभ्यता की भावना पैदा करता है। हालांकि, कई लोगों को आश्चर्य हो सकता है कि इस विशाल और जीवंत भूमि को भारत के रूप में कैसे जाना जाने लगा। प्राचीन काल से वर्तमान तक भारत के नाम की यात्रा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, भाषाई बदलाव और ऐतिहासिक विकास की एक आकर्षक कहानी है। "भारत" शब्द प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं से अपनी जड़ों का पता लगाता है और पौराणिक राजा भरत से जुड़ा हुआ है, जो हिंदू धर्मग्रंथ महाभारत के अनुसार, पांडवों के पूर्वज थे। साथ ही, नाट्य शास्त्र की रचना करने वाले भरत मुनि से भी देश का नाम जोड़ा जाता है

"भारतवर्ष" नाम का उपयोग अक्सर भारतीय उपमहाद्वीप के विशाल विस्तार को संदर्भित करने के लिए किया जाता था, जो हिमालय से दक्षिणी समुद्रों तक फैला हुआ था। यह इस क्षेत्र में पनपने वाली प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता था। वेदों और पुराणों सहित संस्कृत ग्रंथों और शास्त्रों में अक्सर "भारतवर्ष" का उल्लेख देवताओं, ऋषियों और समृद्ध परंपराओं की भूमि के रूप में किया जाता है। यह नाम भारत के अतीत की प्राचीन महिमा और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

देश के नाम में कब हुआ परिवर्तन :-

"भारत" को "इंडिया" में बदलने की जड़ें उपमहाद्वीप में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की अवधि में पाई जाती हैं। 17 वीं शताब्दी की शुरुआत में स्थापित ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सैन्य और राजनीतिक युद्धाभ्यास की एक श्रृंखला के माध्यम से भारत के विभिन्न हिस्सों पर नियंत्रण प्राप्त किया। जैसे-जैसे उनके प्रभाव का विस्तार हुआ, अंग्रेजों ने इस क्षेत्र को "INDIA" के रूप में संदर्भित करना शुरू कर दिया, जो प्राचीन भूगोलवेत्ताओं द्वारा सिंधु नदी (सिंधु) से परे भूमि का वर्णन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले ग्रीक शब्द "इंडिका" से लिया गया था। ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने 19 वीं शताब्दी के दौरान आधिकारिक उपयोग में "INDIA" शब्द पेश किया, धीरे-धीरे "भारतवर्ष" की जगह यही हमारे देश का नाम हो गया। यह बदलाव एक व्यापक सांस्कृतिक और भाषाई प्रभाव का हिस्सा था, क्योंकि ब्रिटिश प्रशासकों ने उपमहाद्वीप पर अपनी भाषा और प्रशासनिक संरचनाओं को लागू किया था।

ब्रिटिश शासकों की भाषा अंग्रेजी होने के नाते, इसने देश के आधिकारिक नामकरण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। "INDIA" शब्द ब्रिटिश और अन्य विदेशी शक्तियों के लिए अधिक सुलभ और उच्चारण योग्य था। "भारत" का "इंडिया" में परिवर्तन ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भाषाई ताकतों के जटिल परस्पर क्रिया को दर्शाता है। "INDIA" नाम अब अपने लोगों के संघर्षों से उभरे विविध और गुलामी से निकले हुए राष्ट्र का पर्याय बन चुका है। जबकि "भारत" प्राचीन जड़ों और आध्यात्मिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं "INDIA" वैश्विक मंच पर राष्ट्र की आधुनिक पहचान का प्रतीक है। इस ऐतिहासिक विकास को समझना भारत के अतीत की समृद्ध विरासत और एक विविध और गतिशील राष्ट्र बनने की दिशा में इसकी यात्रा की सराहना करने के लिए आवश्यक है।

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