अधिकारियो ने GST चोरी के मामले की जांच के लिए कारोबारियों से मांगे 12 दस्तावेज
अधिकारियो ने GST चोरी के मामले की जांच के लिए कारोबारियों से मांगे 12 दस्तावेज
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जीएसटी चोरी पर लगाम लगाने और जांच के लिए अधिकारियों ने कारोबारियों से 12 दस्तावेज मांगे जा रहे  हैं। वही सभी दस्तावेज वित्त वर्ष 2017-18 के हैं, जब वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की व्यवस्था लागू की गई थी। अधिकारियों का कहना है कि इससे जीएसटी चोरी के मामलों की जांच में मदद मिल सकती है। अधिकारियों के इस कदम से कारोबारियों में दहशत है। कारोबारी इसे मनमाना कदम बता रहे हैं। केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने जीएसटी रिटर्न, जीएसटी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, सालाना रिपोर्ट की कॉपी, आयकर रिटर्न, लागत की रिपोर्ट, कर एवं आंतरिक ऑडिट, कैश लेजर और वर्क ऑर्डर जैसे दस्तावेज मांगे हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कई दस्तावेज पहले से ही विभाग के पास हैं। ऐसे में दोबारा इनकी मांग औचित्यहीन है।

इसके अलावा अन्स्र्ट एंड यंग के पार्टनर बिपिन सप्रा ने कहा, ‘फाइल किए जा चुके रिटर्न में कुछ संदिग्ध पाए जाने पर ऑडिट होना चाहिए। जो जानकारियां मांगी जा रही हैं, उनमें से कई जानकारियां पहले से ही अधिकारियों के पास हैं। कई बड़ी कंपनियों ने एक से ज्यादा राज्यों में रजिस्ट्रेशन कराया है और हर वर्ष हर राज्य में ऑडिट कराना बहुत मुश्किल काम है। वही कारोबार में सुगमता बढ़ाने के लिए इन रिकॉर्ड के ऑडिट की एक केंद्रीय व्यवस्था बनाने की जरूरत है।’उल्लेखनीय है कि जीएसटी संग्रह लगातार सरकार के लक्ष्य से कम बना हुआ है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में तय जीएसटी संग्रह का लक्ष्य हासिल करने के लिए अधिकारियों पर दबाव बढ़ा है। लक्ष्य हासिल करने के लिए अधिकारी बार बार कर चोरी के मामलों पर लगाम लगाने में जुटे हैं। 

इसके अलावा व्यवस्था में खामी को दूर करना भी अधिकारियों की प्राथमिकता में है। वही इसी हफ्ते राजस्व विभाग ने केंद्र एवं राज्यों के वरिष्ठ जीएसटी अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में जीएसटी व्यवस्था से जुड़ी खामियां दूर करने के लिए नौ बिंदुओं की रणनीति तैयार की गई थी।वही  क्लीयर टैक्स के संस्थापक एवं सीईओ अर्चित गुप्ता ने कहा, ‘कर अनुपालन बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी पर जोर देने की जरूरत है। करदाताओं को परेशान करने से ज्यादा लाभ नहीं मिल सकता है, परन्तु टेक्नोलॉजी में सुधार से अच्छे नतीजे मिलेंगे। सरकार जल्द ही यह नियम लाने की तैयारी में है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट 10 फीसद से ज्यादा नहीं हो। ऐसे में करादाताओं को हर हाल में टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ना होगा।’

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